शरीर की तंदुरुस्ती के लिए विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों, मिनरल्स, विटामिन्स, प्रोटीन्स, आयरन आदि आवश्यक होते हैं। एक स्वस्थ शरीर के लिए इन सभी का पर्याप्त मात्रा चाहिए होता है अन्यथा इनकी कमी होने पर कोई न कोई बीमारी या शारीरिक समस्या कम या ज्यादा मात्रा में होने लगता है और व्यक्ति अस्वस्थ रहने लगता है। इन्ही आवश्यक तत्वों में से एक हीमोग्लोबिन है जो श्वसन तंत्र में विशेष भूमिका निभाता है। हीमोग्लोबिन क्या है? हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण, कारण, निदान व उपचार, समान्य आवश्यक मात्रा, हीमोग्लोबिन की स्तर को सामान्य कैसे करें आदि के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए विस्तार से पढ़े……
हीमोग्लोबिन क्या है?
हीमोग्लोबिन, रक्त के लाल रंग की कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक लाल वर्णक है, इसकी उपस्थिति के कारण ही रक्त (खून/ब्लड) का रंग लाल होता है, इसी लिए हीमोग्लोबिन को हिंदी में रुधिर-वर्णिका कहते हैं, जिसे संक्षिप्त में ‘एच बी’ (hb या HB) के नाम से जाना जाता है।
हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। यह लौह-युक्त एक प्रोटीन है जो ऑक्सीजन को फेफड़ों के कोशिकाओं तक पहुंचने में मदद करता है और कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को फेफड़े से बाहर निकालने में मदद करता है। हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर में खून (रक्त) की मात्रा घटने लगती है। खून की लगातार कमी के कारण एनीमिया होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है जो कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो सकता है। सामान्यतः हीमोग्लोबिन की कमी किसी को भी हो सकता है परन्तु गर्भवती महिलाओं एवं वृद्ध व्यक्तिओं में हीमोग्लोबिन की कमी होने का खतरा बहुत अधिक होता है। हीमोग्लोबिन की कमी की पूर्ति स्वस्थ आहार को अपने भोजन में शामिल करके कर सकते है।
शरीर में पाया जाने वाले आयरन का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा हीमोग्लोबिन में पाया जाता है, जो श्वसन तंत्र, मेटाबॉलिज्म और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अति आवश्यक है। एक बूंद रक्त को सूक्ष्मदर्शी के माध्यम देखने पर लाल रक्त कणों का स्वरूप गोल प्लेट्स की तरह दिखते हैं, जिसके किनारे मोटे तथा बीच का हिस्सा चपटे हुए दिखाई देते हैं। लाल रक्त कणों के अंदर हीमोग्लोबिन पाया जाता है। लाल रक्त कणों के अंदर हीमोग्लोबिन पाया जाता है। इन लाल रक्त कणों की प्रत्येक तश्तरी के अंदर 30-35 प्रतिशत हिस्सा हीमोग्लोबिन होता है।
हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण (Symptoms of Hemoglobin Deficiency)
शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर विभिन्न प्रकार के लक्षण अनुभव किये जा सकते है। कुछ विशेष लक्षण निम्न हैं जिनको पहचानकर समय रहते इसका उपचार किया जा सकता है, जिससे यह गंभीर रूप न ले सके।
- लगातार सर में दर्द होना
- बार बार सीने में दर्द
- सांस लेने में परेशानी (लगातार सांस फूलना)
- बार बार चक्कर आना
- बेचैनी व घबराहट होना
- कमजोरी महसूस करना
- चिड़चिड़ा होना
- थका हुआ महसूस करना
- अधिक नींद आना
- शरीर में अकड़न और दर्द होना
- टिनिटस का प्रभाव
- डिप्रेशन और अरिदमिया होना
- ध्यान लगाने में अस्थिरता
- हाथ एवं पैर का ठंडा पड़ना
- ज्यादा ठंड लगना
यदि आप उपरोक्त लक्षणों को समान्य से अधिक समय तक महसूस कर रहे हैं तो आपको अपने डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करना चाहिए, जिससे इसका जाँच कर इलाज शुरू किया जा सके।
हीमोग्लोबिन की कमी के कारण (Due to Lack of Hemoglobin)
शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के मुख्य कारण स्वस्थ भोजन ना करना, अधिक जंक फूड्स का सेवन करना है। गर्भवती महिलाओं को आयरन की कमी होने के कारण हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है। इसके आलावा कुछ अन्य बीमारियां जिसके कारण भी व्यक्ति मे हीमोग्लोबिन की कमी होने की संम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है ये निम्न हैं।
- कैंसर से पीड़ित
- एड्स से पीड़ित
- लिंफोमा से पीड़ित
- सिरोसिस से पीड़ित
- ल्यूकेरिया से पीड़ित
- बवासीर से पीड़ित
- हेमोलाइटिस से पीड़ित
- पेट में अल्सर से पीड़ित
- आयरन की कमी से पीड़ित
- मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित
- विटामिन की कमी से पीड़ित
- हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित
- बार बार रक्तदान करना
- सिकल सेल एनीमिया होना
- घाव से अधिक रक्तस्राव
- पेशाब के साथ खून निकलना
- आनुवंशिक असामान्यता
- पीरियड्स के दौरान अधिक रक्तस्राव
यदि आप उपरोक्त में से किसी भी रोग से पीड़ित है तो आपको कुछ सावधानियां बरतकर अपने शरीर में हो रहे हीमोग्लोबिन की कमी को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आपके डॉक्टर बेहतर सलाह दे सकते हैं।
हीमोग्लोबिन की कमी का निदान (Diagnosing Hemoglobin Deficiency)
शरीर में हो रही हीमोग्लोबिन के कमी के निदान के दौरान आपके डॉक्टर आपके शरीर में दिख अथवा अनुभव हो रही लक्षण को देखते हुए आपसे कुछ समान्य सवाल पूछते है और आपकी शरीर का परीक्षण करते हैं। वे आपके पूर्व में हुई किसी अन्य बीमारी (मेडिकल हिस्ट्री) के बारे भी पूछ सकते हैं और यदि आवश्यक है तो ब्लड टेस्ट अथवा दूसरा कोई जांच करने का सुझाव दे सकते हैं जो निम्न में से हो सकता है।
- कम्प्लीट ब्लड काउंट टेस्ट
- विशेष ब्लड टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- ब्लड में आयरन की कमी की जांच
- विटामिन बी12 और विटामिन बी9 का टेस्ट
उपरोक्त जाँच के रिपोर्ट के आधार पर व्यक्ति के लिंग, उम्र व अवस्था को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर आपका इलाज शुरू करते हैं।
हीमोग्लोबिन का लेवल (Hemoglobin Level)
रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन की मात्रा को मापने के लिए सामान्यतः रक्त की जांच की जाती है। इसको मापने के लिए प्रयोग किया जाने वाले यूनिट को ग्रा प्रति ली ‘g/L’ (ग्राम प्रति लीटर), ग्रा प्रति डीएल ‘g/dL’ (ग्राम प्रति डीएल) अथवा मॉल प्रति ली mol/L (मॉल प्रति लीटर) में व्यक्त किया जाता है। 1 ग्रा प्रति डीएल में लगभग 0.15 मिलीमॉल प्रति ली होता है। रक्त में हीमोग्लोबिन की सामान्य स्तर निम्न होना चाहिए।
वर्ग (Group) | स्तर (Level) |
पुरुषों | 13.8 – 18.2 g/dL |
महिला | 12.1 – 15.1 g/dL |
बच्चे | 11 – 16 g/dL |
गर्भवती महिला | 11- 12 g/dL |
गर्भवती महिलाओं के रक्त में प्रथम त्रैमासिक (1 से 3 माह के बीच) एवं तीसरे त्रैमासिक ((7 से 9 माह के बीच) में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर कम से कम 11 ग्रा/डीएल होना चाहिए जबकि दूसरे त्रैमासिक (4 से 6 माह के बीच) में कम से कम 10.5 ग्रा/डीएल हीमोग्लोबिन होना चाहिए।
रक्त हीमोग्लोबिन की मात्रा यदि सामान्य स्तर से कम है तो इसे रक्ताल्पता (एनेमिया) कहा जाता है रक्ताल्पता को रक्त में उपस्थित लाल रंग के कोशिकाओं के आकार के आधार पर वर्गीकृत करते हैं। रक्त में उपस्थित लाल रंग की कोशिकाएं यदि छोटी हैं तो ऐसे रक्ताल्पता को माइक्रोसाइटिक कहते है और यदि इन कोशिकाओं का आकार बड़ा है तो ऐसे रक्ताल्पता को मैक्रोसाइटिक कहा जाता है वही यदि ये कोशिकाएं अनुपस्थित हैं तो इसे नार्मोसाइटिक कहा जाता है।
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