प्रकृति ने अनगिनत आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ जीव कल्याण के लिए प्रदान की है जो जाने अनजाने मे किसी ना किसी भांति फायदा पहुंचतीं है। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ हमारी पुरानी परंपरागत चिकित्सा प्रणाली में से एक हैं जो हमारे स्वास्थ्य को ठीकऔर रोगों के इलाज के लिए प्राचीन भारतीय ग्रंथों से प्राप्त की गई है। ऐसे मे आयुर्वेदिक जड़ी बूटी लिस्ट बहुत बड़ा है जिसका अपना अपना महत्व और उपयोग है। प्राकृतिक रूप से प्राप्त आयुर्वेदिक जड़ी बूटीयां विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार में उपयोग किये जाते हैं।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो प्राकृतिक तरीके से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए उपयोग की जाती हैं। ये जड़ी बूटियाँ वनस्पतियों (पेड़-पौधों) से प्राप्त की जाती हैं और उनके विभिन्न भागों का उपयोग दवाइयों, रसायनों और चिकित्सिय मूल्यों के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटीयों के प्रमाण की जरूरत नहीं है। इनके प्रभाव के अनेकों प्रमाण भारतीय पुराणों, ग्रंथों, उपनिषदों, संहिताओं, रामायण व महाभारत मे मिलते हैं। इसका सबसे अधिक लोकप्रिये साक्ष्य ‘लक्ष्मण बूटी’ है जो हनुमान जी ने सुरेरू पर्वत से लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाए थे। पिछले हजारों साल से भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का कायल पूरा विश्व है। इन जड़ी बूटियों पर बहुत सारे वैज्ञानिक परीक्षण हुए यहीं और आज के समय मे भी होते रहते हैं।
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इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटी लिस्ट मे कुछ ऐसे पेड़ पौधे हैं जो अपने प्रभाव के कारण इतना महत्व रखते हैं कि उनका पूजा भी किया जाता है। जैसे: तुलसी, पीपल, नीम, बरगद, आक, धतूरा इत्यादि। कुछ ऐसे पेड़ पौधे हैं जो अनायास ही नदी नाले, सड़क, खेत-खलिहान व हमारे घर के आस पास कहर पतवार के रूप मे दिखते हैं लेकिन उनके महत्व जानने के अभाव मे हम उन्हे पहचान नहीं पाते।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के महान व्यक्तित्व चरक जिन्होंने प्रसिद्ध पुस्तक ‘चरक संहिता’ की रचना की इन्हे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का भगवान माना जाता है। इनके अलावा सुश्रुत का भी भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति मे बहुत उच्च स्थान है। इनके अलावा भी प्राचीन काल से अब तक अनेकों नामी वैद्य हैं जो आयुर्वेदिक जड़ी बूटी से चिकित्सा करते हैं।
दोस्तों आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के महत्व के बारे मे जितना कहा, लिखा व पढ़ा जाए इसके महत्व को एक जगह पे एकत्र नहीं किया जा सकता। तो आइये अब कुछ महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों के बारे मे जानते हैं।
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आयुर्वेदिक जड़ी बूटी लिस्ट – Ayurvedic Herb List
- तुलसी (Tulsi): तुलसी का उपयोग इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, जुकाम, बुखार, सामान्य सर्दी और अन्य श्वासनली रोगों में लाभकारी होता है। इसमें एंटी-वायरल और आंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
- नीम (Neem): नीम का उपयोग कुष्ठ, एक्जीमा, खुजली, मुंहासे और त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
- आंवला: आंवला का उपयोग इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, विटामिन सी की कमी को पूरा करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने, और त्वचा स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
- गुग्गुल (Guggul): गुग्गुल का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने, आर्थराइटिस के इलाज और सूजन संबंधित रोगों में किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लैमेटरी और लिपिड-लोवरिंग गुण होते हैं।
- अर्जुन (Arjuna): अर्जुन का उपयोग हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में किया जाता है क्योंकि इसमें हृदय संबंधित गुण होते हैं।
- महुआ : महुआ का उपयोग गर्मियों में लू लगने के इलाज, बुखार, खांसी और शारीरिक कमजोरी के इलाज में किया जाता है।
- ब्रह्मी (Brahmi): ब्रह्मी का उपयोग मस्तिष्क स्वास्थ्य को सुधारने, मेमोरी और ध्यान को बढ़ाने और तनाव को कम करने में किया जाता है। इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं।
- गिलोय (Giloy): गिलोय का उपयोग इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, फीवर,और सामान्य सर्दी-जुकाम में किया जाता है। इसमें अन्टीवायरल और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण होते हैं।
- शतावरी (Shatavari): शतावरी का उपयोग प्रसव संबंधित समस्याओं में, पीरियड्स के दर्द में, श्वेत प्रदर में और सामान्य गर्भावस्था स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए किया जाता है। इसमें जीर्णनाशक और हार्मोन बैलेंसिंग गुण होते हैं।
- त्रिफला (Triphala): त्रिफला का उपयोग पाचन को सुधारने, कब्ज को दूर करने, आमलपित्त को नियंत्रित करने, विषमज्वर के इलाज में, और रक्तशर्चना को कम करने में किया जाता है। यह त्रिफला तीन जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है: आमला, हरड़, और बहेड़ा, जिनमें पाचन को सुधारने और शरीर को साफ करने के गुण होते हैं। इसका नियमित सेवन सामान्य स्वास्थ्य सुधार में मदद कर सकता है।
- अश्वगंधा (Ashwagandha): अश्वगंधा का उपयोग तनाव और थकान को कम करने, शारीरिक और मानसिक क्षमता को बढ़ाने, स्वप्न रोगों के इलाज में और यौन स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए किया जाता है।
- गोक्षुर (Gokshura): गोक्षुर का उपयोग मूत्र रोगों के इलाज में, प्रोस्टेट स्वास्थ्य को सुधारने, वृक्क रोगों के इलाज में और यौन स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए किया जाता है।
- पुनर्नवा (Punarnava): पुनर्नवा का उपयोग मूत्र संबंधित समस्याओं के इलाज में, गुर्दे की स्वास्थ्य को सुधारने, वृक्क रोगों के इलाज में और पाचन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
- चिरायता / भुईनीम (Andrographis Paniculata): चिरायता का उपयोग पेट दर्द, मलेरिया, काब्ज, और त्वचा संबंधित समस्याओं, जैसे की खुजली और दाद, के इलाज में किया जाता है।
- सहिजन / मोरिंगा(Moringa): मोरिंगा का उपयोग प्रोटीन, विटामिन, और खनिजों की कमी को पूरा करने, शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने, खून की कमी को दूर करने, और पाचन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
- पत्थरचूर (Coleus Aromaticus): पत्थरचूर का उपयोग पेशाब की पथरी के इलाज में, गुर्दे की स्वास्थ्य को सुधारने, तंतु रोगों के इलाज में, और पेट की साफ सफाई के लिए किया जाता है।
- चिरचिटा/अपमार्ग : अपमार्ग का उपयोग मूत्र संबंधित समस्याओं, जैसे कि मूत्रपथ समस्या और पेशाब की पथरी, के इलाज में किया जाता है।
- मुलेठी: मुलेठी का उपयोग गले और फेफड़ों संबंधित समस्याओं जैसे कि खांसी और सूजन आदि के इलाज में किया जाता है।
- बबूल (Babul): बबूल का उपयोग मुंह, गले, और दांत संबंधित समस्याओं, जैसे कि मुंह के छाले, गले की खराश, और दांत की समस्याओं के इलाज में किया जाता है।
- जामुन : जामुन का उपयोग डायबिटीज, गुर्दे संबंधित समस्याएँ, रक्तचाप को नियंत्रित करने, और आंतीकषुधि के लिए किया जाता है।
- करेला : करेला का उपयोग डायबिटीज के नियंत्रण, पाचन स्वास्थ्य को सुधारने, आंत्रिक शुद्धि और वजन कम करने के लिए किया जाता है।
- पलाश: पलाश का उपयोग दस्त, उदररोग, गुर्दे संबंधित समस्याओं और डायबिटीज के इलाज में किया जाता है।
- आक: आक का उपयोग गुर्दे संबंधित समस्याओं पेशाब में संकट, आंतीकषुधि और पाचन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
- धतूरा: धतूरा का उपयोग कुष्ठ रोग, दर्द और सूजन के इलाज में, आंत्रिक शुद्धि और तांतु संबंधित समस्याओं के लिए किया जाता है।
- मीठा घास: मीठा घास का उपयोग पेशाब की पथरी, बवासीर, गुर्दे संबंधित समस्याओं और पाचन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
- मेथी: मेथी का उपयोग डायबिटीज, त्वचा समस्याएँ, पाचन स्वास्थ्य को सुधारने और मांसपेशियों के दर्द के इलाज में किया जाता है।
- हर्रे :हर्रे का उपयोग पाचन स्वास्थ्य को सुधारने, कब्ज, मलेरिया और त्वचा समस्याओं जैसे कि खुजली और दाद के इलाज में किया जाता है।
- बहेड़ा : बहेड़ा का उपयोग पाचन स्वास्थ्य को सुधारने, कब्ज, मलेरिया और त्वचा समस्याओं जैसे कि खुजली और दाद के इलाज में किया जाता है।
- घृतकुमारी: घृतकुमारी का उपयोग त्वचा समस्याओं जैसे कि जलन, चर्म रोग और खुजली, के इलाज में, पाचन स्वास्थ्य को सुधारने, आंत्रिक शुद्धि, और बूढ़ापे के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है।
- दूधिया घास: दूधिया घास का उपयोग दांत संबंधित समस्याओं जैसे कि मसूड़ों की समस्याएँ, चर्बी को कम करने, डायबिटीज नियंत्रण और रक्तचाप को कम करने के लिए किया जाता है।
- शहद: शहद का उपयोग गले की खराश और खांसी के इलाज में, त्वचा समस्याओं जैसे कि खुजली और दाद के इलाज में, वजन कम करने और पाचन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
ये कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के नाम, उनके उपयोग और फायदे हैं जिनका सेवन स्वास्थ्य सलामती के लिए चिकित्सक की सलाह के साथ करें और सावधानी पूर्वक करें।
इसके अलावा हजारों ऐसी औषधियाँ हैं जो हम रोजमर्रा के जिंदगी मे जाने अनजाने मे सेवन करते है। ऊपर बताई गई जड़ी बूटियों का उपयोग पूर्ण नहीं हैं इसके अलावा भी ये बहुत सारी बीमारियों को ठीक करने मे मदद करते हैं।
आपके द्वारा दी गयी जानकारी बेहद अच्छी लगी
धन्यवाद! आपके feedback के लिए आभार..!