अपामार्ग के अनगिनत गुण (Apamarg Ke Fayde) चिरचिटा का उपयोग व फायदे

प्राकृति ने अनेकों चमत्कारी पौधें प्रदान की है जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं। जिनसे विभिन्न प्रकार की बीमारियां ठीक होती हैं। उनसे से एक ऐसा पौधा है  अपामार्ग (चिड़चिड़ा) का है। यह खेतों या खाली जगह जंगल झाड़ियों में आसानी से मिल जाता है। इसका उपयोग (Apamarg Ke Fayde) अधिक भूख व प्यास लगने (भस्मक रोग), मोटापा कम करने, इंद्रियों की निर्बलता और विभिन्न प्रकार के अन्य रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इस पौधे से सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले जीवों के काटे हुए को ठीक किया जा सकता है। आपने अपने घर के आस-पास, जंगल-झाड़ या अन्य स्थानों पर अपामार्ग का पौधा (Apamarg Ka Paudha) जरूर देखा होगा, लेकिन शायद इसका नाम नहीं जानते होंगे। अपामार्ग की पहचान नहीं होने के कारण प्रायः लोग इसे बेकार ही समझते हैं लेकिन ऐसा सोचना सही नहीं है।

Tap to Topic

Apamarg Ke Fayde
Apamarg Ka Paudha

अपामार्ग बेहद प्रभावशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक है जिसका उपयोग विशेष आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए किया जाता है, जिसे ‘क्षारसूत्र’ कहते हैं। क्षार का विवरण कई आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है। इसका उपयोग चरक और सुश्रुत के समय से होता है। इसका उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है। सर्जरी से संबंधित प्रक्रियाओं में भी खासकर भगन्दर (फिस्टुला) और फोड़े-फुंसी के इलाज में यह व्यापक रूप से उपयोग होता है। अपामार्ग का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है जिसका उपयोग किडनी की बीमारियों, कॅालेरा, दांत मेका दर्द, बवासीर, यूरिन से सम्बन्धित रोग, पेट और पाचन से संबंधित बीमारियों, मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव जैसी समस्याओं में किया जाता है।

अपामार्ग की पहचान | Apamarg Ka Paudha

अपामार्ग का पौधा (Apamarg Ka Paudha) वर्षा ऋतु में उत्पन्न होता है। इसमें ठंडी में फल और फूल लगते हैं। इसके फल गर्मियों में पककर गिर जाते हैं। इसके पत्ते अण्डकारी, 1-5 इंच लंबे और रोमवाले होते हैं। यह एक आम पौधा है जो उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगता है और हर जगह पाया जाता है। इस पौधे की पहचान यही है कि जब आप इसकी झाड़ियों से गुज़रते हैं,तो इसके छोटे-छोटे चूभने वाले कांटेदार गुच्छे वाले फल या बीज आपके पैरों और कपड़ों में चिपक जाते हैं और इनकी नोख सुई की तरह तेज होती है इसलिए इन्हें निकालना भी बेहद कठिन होता है।

अपामार्ग का फूल (Apamarg Flower/Apamarg Pushp), अपामार्ग के पत्ते (Apamarg Ke Patte/Apamarg Leaves), अपामार्ग चूर्ण (Apamarg Churna), अपामार्ग पाउडर (Apamarg ka Powder) का अपामार्ग जड़ी बूटी (Apamarg Jadi Buti) आदि मेंअपामार्ग के चमत्कारी लाभ होते हैं यही नहीं अपामार्ग की जड़ के प्रयोग (Apamarg ki Jad) और भी प्रभवी होता है।

अपामार्ग के विभिन्न नाम

  • वन्यजीवन नाम : एकायरेन्थिस एस्पेरा
  • अंग्रेजी नाम : प्रिकली चाफ फ्लावर
  • हिंदी नाम : अपामार्ग, लटजीरा, चिरचिटा, चिरचिरा, चिचड़ा, चिचिड़ा
  • संस्कृत नाम : शिखरी, अधशल्य, मयूरक, मर्कटी, दुर्ग्रहा, किणिही, खरमंजरी, प्रत्यक्फूली

अपामार्ग के प्रकार – अपामार्ग (लटजीरा) के प्रकार

अपामार्ग दो प्रकार का होता है पहला सफेद और दूसरा लाल।

(I) सफेद अपामार्ग   इसकी डंठल (तना) हरी और पत्तियां भूरी व सफेद रंग की होती हैं और इस पर जौ के समान लंबे बीज होते हैं।

(II) लाल अपामार्ग – इसका डंठल (तना) लाल रंग के और पत्तियों पर भी लाल रंग के छींटे-छींटे जैसे होते हैं। इसके फूल छोटे, कुछ लाल हरे या बैंगनी रंग के होते हैं।

अपामार्ग का पौधा के फायदे /लटजीरा के फायदे (Apamarg Ke Fayde)

अपामार्ग के पौधे के सभी भाग जैसे पत्तियां, जड़, फूल व बीज को विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर यह पौधा विभिन्न बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। आइये विस्तार से जानते हैं…!

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1. अपामार्ग का दांत के दर्द मे फायदे (Benefits of Apamarg for Toothache)

अपामार्ग, दांतों में दर्द और मसूड़ों से खून आने की समस्या का बेहतरीन हर्बल इलाज है। आप चाहें तो अपामार्ग की डंठल या जड़ों का इस्तेमाल कर उनसे दातुन कर सकते हैं। ऐसा करने से मसूड़े टाइट हो जाते हैं।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के 2-3 पत्तों के रस में रूई को डुबाकर फोया बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांत का दर्द ठीक होता है।
  • अपामार्ग की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते हैं, साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी, और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इससे दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।
  • अपामार्ग की पत्तियों और जड़ों को सुखाकर पीस लें और उसका पाउडर बना लें। इस पाउडर में एक चुटकी नमक को मिलाकर उससे प्रतिदिन ब्रश करने से दांत में दर्द की समस्या ठीक हो जाती है।

2. अपामार्ग का पेट की बीमारियों के लिए फायदे (Benefits of Apamarg for Stomach Diseases)

अपामार्ग को पेट साफ करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है जो आंत में किसी तरह के इंफेक्शन और कीड़ों को दूर करने में मदद करता है। ऐसे में अपामार्ग लंबे समय तक उल्टी आने और जी मिचलाने की समस्या को भी दूर कर सकता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग की पत्तियों का जूस पेट में दर्द की समस्या को दूर कर सकता है। इसके लिए अपामार्ग की पत्तियों का 1 चम्मच जूस, 4 चम्मच पानी में मिलाकर रोजाना एक बार सेवन करें, पेट दर्द में आराम मिलेगा।
  • 20 ग्राम अपामार्ग पंचांग को 400 मिली पानी में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तब 500 मिग्रा नौसादर चूर्ण और 1 ग्राम काली मिर्च चूर्ण मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करने से पेट के दर्द में राहत मिलती है। इससे पेट की अन्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।
  • 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिरा) की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द ठीक होते हैं।

3. अपामार्ग का स्किन इंफेक्शन को दूर करने में फायदे (Benefits of Apamarg in Removing Skin Infection)

अपामार्ग एक शक्तिशाली और असरदार डीटॉक्सिफाइंग औषधी है जो अंदर से शरीर की सफाई कर बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। अगर किसी व्यक्ति को एक्जिमा, त्वचा पर घाव, स्किन इंफेक्शन, फोड़े-फुंसी या कोई और संक्रमण हो जाए तो उसे ठीक करने में मदद करता है।  इसके अलावा अपामार्ग खून को भी साफ करता है जिससे स्किन पर खुजली और चक्ते की समस्याएं नहीं होतीं।

प्रयोग विधि:

  • इसके लिए अपामार्ग की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और उसके स्किन पर लगाएं। इससे भी स्किन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

4. अपामार्ग का खांसी-जुकाम में फायदे (Benefits of Apamarg in Cough and Cold)

सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या होने पर अपामार्ग का उपयोग किया जा सकता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग की पत्तियों या फूलों को पानी में उबालकर उसका अर्क बनाएं और इसे सेवन करें। यह खांसी और जुकाम में आराम प्रदान करता है। अपामार्ग की पत्तियों के रस या पाउडर को शहद के साथ मिलाकर चाटने से भी श्वास नली और छाती में जमा कफ बाहर निकल जाता है जिससे खांसी जल्दी ठीक हो जाती है।
  • लगभग 125 मिग्रा अपामार्ग क्षार में मधु मिलाएं। इसे सुबह और शाम चटाने से बच्चों की श्वास नली और छाती में जमा कफ निकल जाता है। बच्चों की खांसी ठीक होती है।
  • खांसी बार-बार परेशान करती है, और कफ नहीं निकल रहा है या फिर कफ गाढ़ा हो गया है तो अपामार्ग के सेवन से लाभ मिलता है। इस बीमारी में या न्यूमोनिया होने पर 125-250 मिग्रा अपामार्ग क्षार और 125-250 मिग्रा चीनी को 50 मिली गुनगुने जल में मिला लें। इसे सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में लाभ हो जाता है।
  • 6 मिली अपामार्ग की जड़ का चूर्ण बनाएं। इसमें 7 काली मिर्च के चूर्ण को मिलाएं। सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
  • अपामार्ग (लटजीरा) पंचांग (मतलब जड़,तना, पत्ता, फूल और बीज) का भस्म बनाएं। इस 500 मिग्रा भस्म में शहद मिश्रण कर सेवन करने से कुक्कुर खांसी ठीक होती है।
  • बलगम वाली खासी को ठीक करने के लिए अपामार्ग की जड़ चमत्कारिक रूप से काम करती है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है।

5. अपामार्ग का बवासीर में फायदे (Benefits of Apamarg in Piles)

अगर किसी व्यक्ति को बवासीर या पाइल्स की समस्या हो तो उनके लिए भी अपामार्ग फायदेमंद साबित होता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के बीजों को पीसकर रोजाना खाने में शामिल करें या फिर अपामार्ग की ताजी पत्तियों को धोकर अच्छे से साफ कर लें ताकि उसमें किसी तरह की गंदगी न रहे। फिर पानी के साथ मिलाकर पत्तियों का पेस्ट बनाएं और इसे बवासीर के प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे बवासीर की समस्या में आराम मिलेगा।
  • अपामार्ग की 6 पत्तियों और 5 नग काली मिर्च को जल के साथ पीस लें। इसे छानकर सुबह और शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है। इससे खून बहना रुक जाता है।
  • अपामार्ग के बीजों को कूट-छानकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
  • 10-20 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ पीस-छान लें। इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से पित्तज या कफज विकारों के कारण होने वाले खूनी बवासीर की बीमारी में लाभ होता है।

6. अपामार्ग का डायबिटीज में फायदे (Benefits of Apamarg in Diabetes)

अपामार्ग एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें एंटीडायबिटिक इफेक्ट पाया जाता है इसलिए यह ब्लड शुगर को कम करने में मददगार साबित होत है। अपामार्ग के फूलों का इस्तेमाल प्राचीन काल से डायबिटीज का इलाज करने में किया जाता है। अपामार्ग के फूलों में एथेनॉल तत्व पाया जाता है, जो ऐंटीडायबिटिक ऐक्टिविटी में मददगार है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के फूलों को पीसकर उसका जूस निकालें और रोजाना एक चम्मच जूस का सेवन करें। यह शुगर लेवल कम करने में मदद करेगा।

7. अपामार्ग का हृदय रोग में फायदे (Benefits of Apamarg in Heart Disease)

अपामार्ग हृदय की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है क्योंकि यह ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट पहुंचाने वाले बढ़े हुए बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के पौधे से 5ml रस  निकालकर रोजाना एक बार सेवन करें।

8. अपामार्ग का किडनी की बीमारियां में फायदे (Benefits of Apamarg in Kidney Diseases)

अपामार्ग एक बेहतरीन मूत्रवर्धक है जो किडनी या मूत्रनली में यदि कोई पथरी की समस्या हो तो उसे आसानी से तोड़कर शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा यदि किडनी या मूत्राशय में संक्रमण से जुड़ी कोई समस्या हो जो व्यक्ति को प्रभावित कर रही हो तो इसे भी दूर करने में अपामार्ग फायदेमंद है।

प्रयोग विधि:

  • इसके लिए अपामार्ग की पत्तियों को पीसकर उसका रस निकालें और आधा चम्मच रस का रोजाना सेवन करें। अपामार्ग की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में पीस लें। इसे घोलकर पिलाने से पथरी की बीमारी में बहुत लाभ होता है। यह औषधि किडनी की पथरी को टुकडे-टुकड़े करके शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी में दर्द के लिए यह औषधि बहुत काम करती है।

9. अपामार्ग का रसौली के इलाज में फायदे (Benefits of Apamarga in the treatment of Neoplasm)

रसौली के इलाज में अपामार्ग के फायदे होते हैं।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के लगभग 10 ग्राम ताजे पत्ते एवं 5 ग्राम हरी दूब को पीस लें। इसे 60 मिली जल में मिलाकर छान लें। इसे गाय के 20 मिली दूध में मिलाकर पिलाएँ। इसमें इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सुबह सात दिन तक पिलाएं। यह प्रयोग रोग ठीक होने तक नियमित रूप से करें। इससे गर्भाशय में गांठ (रसौली) की बीमारी ठीक हो जाती है।

10. अधिक भूख लगने मे अपामार्ग के फायदे (Apamarg is Beneficial in Appetite Disorder)

बहुत अधिक भूख लगने की बीमारी को भस्मक रोग कहते हैं। इसके उपचार के लिए अपामार्ग का उपयोग किया जाता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के बीजों के 3 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे अत्यधित भूख लगने की समस्या ठीक होती है।
  • अपामार्ग के 5-10 ग्राम बीजों को पीसकर खीर बना लें। इसे खाने से अधिक भूख लगने की समस्या ठीक होती है।
  • अपामार्ग के बीजों को खाने से भी अधिक भूख नहीं लगती है।
  • अपामार्ग बीजों को कूटकर महीन चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। इससे भी लाभ होता है।

11. कटने फटने (चोट लगने) या घाव ठीक करने मे अपामार्ग के फायदे (Benefits of Aparamarga in Healing Injury ‘Cuts’ and Wounds)

चोट लगने या कटने-छिलने पर अपामार्ग (चिरचिटा) का उपयोग किया जाता है। अपामार्ग घाव को सुखाने ठीक करने मे बहुत प्रभावी है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के 2-3 पत्तों को हाथ से मसलकर रस निकाल लें। इस रस को कटने या छिलने वाले स्थान पर लगाएं। इससे खून बहना रुक जाता है।
  • अपामार्ग की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे कटने या छिलने वाले जगह पर लगाएं। इससे आराम मिलता है।
  • पुराने घाव हो गया हो तो अपामार्ग के रस के मलहम लगाएं। इससे घाव पकता नहीं है।
  • अपामार्ग (लटजीरा) की जड़ को तिल के तेल में पकाकर छान लें। इसे घाव पर लगाएं। इससे घाव का दर्द कम हो जाता है।
  • लगभग 50 ग्राम अपामार्ग के बीज में चौथाई भाग मधु मिला लें। इसे 50 ग्राम घी में अच्छी तरह पका लें। पकाने के बाद ठंडा करके घाव पर लेप करें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है।
  • जड़ का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से भी घाव ठीक होता है।

12. पथरी मे अपामार्ग के फायदे (Apamarg benefits to cure Kidney Stone)

किडनी की पथरी मे अपामार्ग बहुत उपयोगी होता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में पीस लें। इसे घोलकर पिलाने से पथरी की बीमारी में बहुत लाभ होता है। यह औषधि किडनी की पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित करके शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी में दर्द के लिए यह औषधि बहुत प्रभावी है।

13. कुष्ठ रोगों में अपामार्ग के फायदे (Apamarg benefits in Leprosy Treatment)

अपामार्ग का उपयोग कुष्ट रोग मे किया जाता है। इससे बहुत लाभ मिलता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के भस्म को सरसों के तेल में मिलाकर घाव पर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
  • अपामार्ग के रस में पिसे हुए मूली के बीज मिला लें। इसका लेप करने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है।

14. आधासीसी (माइग्रेन) में अपामार्ग के फायदे (Apamarg benefits in relief from Migraine)

माइग्रेन एक प्रकार की तीव्र सिरदर्द होती है जो आमतौर पर सिर के एक तरफ दर्द के रूप में महसूस होता है। यह दर्द आमतौर पर आंख की भारीता, ओर पीठ या गर्दन, चक्कर आना, उल्टी, और रोशनी और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता की समस्या हो सकता है। इसमे उचित आराम और दवाइयों से नियंत्रित किया जा सकता है। माइग्रेन मे अपामार्ग उपयोगी होता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के बीजों के चूर्ण को केवल सूंघने से आधासीसी (माइग्रेन) से आराम मिलता है। इसे सूंघने से मस्तिष्क के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के जरिए निकल जाता है।

15. जोड़ों के दर्द में अपामार्ग के फायदे (Apamarg benefits in Arthritis)

जोड़ों के दर्द मे अपामार्ग के प्रयोग से बहुत लाभ मिलता है।

प्रयोग विधि:

  • अपामार्ग के 10-12 पत्तों को पीसकर गरम करें। इन्हें जोड़ों पर बांधें। इससे जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
  • जोड़ों के दर्द के साथ-साथ फोड़े-फुंसी या गांठ वाली जगह पर अपामार्ग (चिरचिरा) के पत्तों को पीसकर लेप करने से गांठ धीरे-धीरे दूर हो जाता है।
  • अपामार्ग की जड़ को पीसकर इसे जोड़ों के दर्द वाले स्थान पर लगाएं। इससे जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
  • अपामार्ग की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

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16. अपामार्ग के अन्य फायदे और प्रयोग विधि (Other benefits and method of use of Apamarg)

    • इसके बीजों की खीर बनाकर खाने के सेवन से भूख बहुत कम लगती और शरीर कमजोर नहीं होता है। साथ ही मोटापा दूर करने में मददगार होता है।
    • अपामार्ग चूर्ण, काली मिर्च को शहद के साथ मिलाकर चाटने से सांस की बीमारियों में फायदा होता है।
    • मुंह में छाले होने पर अपामार्ग (लटजीरा) के गुण फायदेमंद होते हैं। इसके लिए अपामार्ग के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इससे मुंह के छाले की परेशानी ठीक होती है।
    • अपामार्ग, गूलर पत्र, काली मिर्च को पीसकर चावल के मांड़ के साथ खाने से श्वेत प्रदर धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
    • बड़ की दाड़ी, खजूर पत्र और अपामार्ग के क्वाथ से कुल्ला करने पर सभी प्रकार की दांत की समस्याएं खत्म होती हैं।
    • खुजली होने पर अपामार्ग का काढ़ा बनाकर उससे नहाइए, इससे खुजली दूर होती है।
    • वात और कफ दोष असंतुलित होने के कारण अस्था जैसी बीमारी होती है। अपामार्ग में वात और कफ दोषों को संतुलित करने का गुण है। इससे अस्थमा में भी फायदा होता है।
    • पथरी होने पर अपामार्ग क्षार को ठंडे पानी के साथ सेवन करने पर पथरी निकल जाती है।
    • अपामार्ग मूल चूर्ण 6 ग्राम रात में सोने से पहले लगातार तीन दिन जल के साथ पीने से रतौंधी में लाभ होता है।
    • जलोदर (पेट फूलने की समस्या) में अपामार्ग क्वाथा एवं कुटकी चूर्ण सेवन करने से लाभ होता है।
    • अपामार्ग चूर्ण 10 ग्राम पानी में पीसकर छानकर 3 ग्राम शहद और 250 मिली दूध के साथ पीने से शीघ्रपतन नहीं होता है।
    • ततैया, बिच्छू और अन्य जहरीले कीड़ों के काटने वाले स्थान पर अपामार्ग (चिरचिरा) पत्ते के रस लगा दें। इससे जहर उतर जाता है।
    • अपामार्ग के 8-10 पत्तों को पीसकर लुगदी बना लें। इसे कीड़े के काटने वाले स्थान पर लगाएं। इससे घाव बढ़ता नहीं है।
    • सांप के काटने पर अपामार्ग को पानी के साथ पीसकर पिलाइए, इससे विष का असर कम हो जाता है।
    • अपामार्ग को दूध के साथ सेवन करने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
    • लाल अपामार्ग (अपामार्ग) के पत्ते से बने 10-30 मिली काढ़ा में चीनी मिला लें। इसका सेवन करने से मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होना और पेशाब का रुक-रुक कर आने की परेशानी ठीक होती है।
    • अपामार्ग (लटजीरा) के 10-20 पत्ते लें। इन्हें 5-10 नग काली मिर्च और 5-10 ग्राम लहसुन के साथ पीसकर 5 गोली बना लें। बुखार आने से दो घंटे पहले 1-1 गोली लेने से ठंड लगकर आने वाला बुखार खत्म होता है।
    • अपामार्ग के 4-5 पत्तों का रस निकालें। इसमें थोड़ा जल व मिश्री मिलाकर प्रयोग करने से भी हैजा में लाभ मिलता है।
    • 2-3 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को दिन में 2-3 बार ठंडे जल के साथ सेवन करें। इससे हैजा ठीक होता है।

अपामार्ग के नुकसान – अपामार्ग के साइड इफेक्ट्स

    1. अपामार्ग का इस्तेमाल करते समय इसकी खुराक का बहुत ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि अपामार्ग के अधिशेष यानी बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से मतली और उल्टी आने की समस्या हो सकती है।
    2. गर्भवती महिलाओं और बच्चों को अपना दूध पिलाने वाली महिलाओं को अपामार्ग के सेवन से बचना चाहिए। यह उनके लिए सुरक्षित नहीं माना जाता।
    3. अगर कोई व्यक्ति खासकर पुरुष, अगर बांझपन से जुड़ी समस्या का इलाज करवा रहा हो, तो उन्हें भी अपामार्ग के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
    4. 12 साल से कम उम्र के बच्चों को अपामार्ग न दें या फिर अगर देना ही हो तो चिकित्सीय सलाह लेने के बाद ही बेहद कम मात्रा में दें।
    5. अपामार्ग की तासीर गर्म होती है इसलिए इसकी पत्तियों या जड़ का पेस्ट सीधे त्वचा पर लगाने की बजाए इसे पानी या दूध जैसे किसी भी ठंडे तत्व के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।

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