Ulcer: अल्सर कितने दिन में ठीक होता है।अल्सर को जड़ से खत्म करने के उपाय

अल्सर पाचनतंत्र में अम्ल के अनियमितता से उत्पन्न होने वाला एक रोग है जो पेट, आहारनाल अथवा आँतों के आन्तरिक परत पर होता है। यह एक प्रकार के घाव हैं जो छालों के फूटने के बाद बनते हैं। अल्सर कितने दिन में ठीक होता है।अल्सर को जड़ से खत्म करने के उपाय, होने का कारण, लक्षण व इससे सम्बन्धित अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विस्तार से जानकारी के लिए अंत तक बने रहें। अल्सर की समस्या बिगड़ती जीवनशैली और गलत खान-पान के कारण उत्पन्न होती है। आहार में अधिक जंक फ़ूड का सेवन, अत्यधिक चाय, कॉफी, तम्बांकू पीने व खाने, सिगरेट एवं शराब के सेवन के कारण अल्सर होने की संम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

अल्सर कितने दिन में ठीक होता है।अल्सर को जड़ से खत्म करने के उपाय

अत्यधिक गर्म, मसालेदार, तैलिये एवं अधिक खट्टे खाद्य पदार्थ के सेवन से भी अल्सर होने की बहुत अधिक संम्भावना रहती है। खान-पान की अनियमितता लम्बे समय तक चलने से पाचनतंत्र ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाता जिस कारण एसिड (अम्ल) की मात्रा बढ़ जाता है और यह एसिड संम्पर्क में आने वाले नाजुक परत के उत्तकों को क्षति पहुँचता है जिसके कारण इन परतों पर छाले पड़ जाते हैं। ये छाले यदि अधिक समय तक ठीक नही होते हैं तो ये फफोले का रुप ले लेते हैं और कुछ समय बाद ये फफोले पककर फुटकर अल्सर (घाव) बन जाते हैं जिसे परफॉरेशन कहते हैं। अल्सर के कारण पेट दर्द, जलन, उल्टी और ब्लीडिंग होने लगती है।

पेट के आन्तरिक हिस्से में म्युकस नाम का एक तरल पदार्थ का एक परत (झिल्ली) होता है जो पेट के भीतरी परत को हाइड्रोक्लोरिक एसिड से बचाने में मदद करता है। चूँकि यह एसिड डाइजेशन प्रोसेस (पाचन प्रक्रिया) के लिए महत्वपूर्ण होता है किन्तु यह आन्तरिक मुलायम परत को क्षति भी पहुँचता है। इसलिए म्युकस के परत और एसिड के बीच एक उचित सन्तुलन होना आवश्यक है। जब यह सन्तुलन गलत खान-पान से बढ़ी हुए एसिड के कारण जब बिगड़ जाता है तो पेट के इन नाजुक सतह पर छाले हो जाते हैं। सामान्यतः यह छाले आहार नाल और आंत के ऊपरी सतह पर होते हैं।

अल्सर कितने दिन में ठीक होता है।अल्सर को जड़ से खत्म करने के उपाय

अल्सर का ठीक होना अल्सर के गंभीरता पर निर्भर करता है। सामान्य अल्सर जो कुछ दिन के गलत खान-पान के कारण होता जाता है को ठीक होने में 3 से 8 दिन लग सकते हैं किन्तु यदि यह गंभीर हो गया है तो इसके ठीक होने में 2 से 8 सप्ताह लग सकता है। अल्सर यदि किसी विशेष परिस्थिति में हुआ है जैसे बैक्टेरियल इन्फेक्शन के कारण और यह जटिल हो गया है तो इसको ठीक करने के लिए मरीज को कई जाँच से गुजरना पड़ सकता है और महीनो तक हॉस्पिटल में रहना पड़ सकता है यही नहीं कई बार इसके गंम्भीरता को देखते हुए डॉक्टर इसका ऑपरेशन के द्वारा इसे ठीक करते है।

कुछ दुर्लभ परिस्थिति में अल्सर कैंसर के रूप में तब्दील हो जाता है जिसे ठीक करने के लिए डॉक्टर विभिन्न जाँच, ऑपरेशन, दवायें व कीमोथैरेपी करते है जिसमे कई साल भी लग सकता है। इस लिए बहुत जरुरी है कि अल्सर को प्राथमिक स्टेज पर ही पहचान करके इसका उचित इलाज किया जाये अन्यथा यह बहुत घातक साबित हो सकता है। अल्सर का प्राथमिक स्तर पर ही इलाज के लिए आवश्यक है कि इसके लक्षण व कारण जानकर इसको ठीक करने का उपाय किया जाये। कैंसर होने का खतरा पेप्टिक अल्सर से नहीं होता किन्तु गैस्ट्रिक अल्सर से कैंसर होने की संभावना बहुत अधिक होता है।

सामान्य अल्सर कितने दिनों में ठीक होता है?

सामान्य अल्सर जिसमे थोड़ी बहुत गैस बनना, पेट मे हल्का दर्द, जलन आदि की समस्या होता है। इसके जांच मे कोई घाव अथवा छाले आदि नहीं पाए जाते है तो इसे नार्मल दवा लेकर और अपने आहार मे सुधार करके 3 से 8 दिनों में सामान्य अल्सर को ठीक किया जा सकता है।

गैस्ट्रिक अल्सर कितने दिन में ठीक होता है?

पेप्टिक अल्सर सामान्य अल्सर से थोड़ा भिन्न होता है इसमे पेट में हल्के छाले और घाव हो जाते हैं। इसे भी उचित आहार एवं दवाओं का उपयोग करके 15 से 20 दिन में ठीक किया जा सकता है। इस प्रकार की अल्सर की तीव्रता 15 से 20 दिनों में बहुत कम हो जाता है किन्तु पूर्ण रूप से ठीक करने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन अत्यंत आवश्यक है।

पेप्टिक अल्सर कितने दिन में ठीक होता है?

पेप्टिक अल्सर एक गंभीर बीमारी है जिसमें पेट की आंतरिक परत के साथ साथ छोटी आंत एवं आहार नाल में गंभीर छाले, फोड़े एवं घाव हो जाते है । इसका मुख्य कारण बैक्टेरियल इन्फेक्शन जो दर्द निवारक दवाओं के अधिक सेवन एवं H. Pylori बैक्टीरिया की असामान्य वृद्धि होता है ।

चूंकि पेप्टिक अल्सर एक गंभीर बीमारी है इस लिए इसे ठीक होने मे भी अधिक समय लगता है। इस स्थिति में 3 से 6 महीने तक उचित आहार के सेवन के साथ साथ डॉक्टर द्वारा दिए गए दवा का उचित सेवन करके रोग ठीक किया जा सकता है । कुछ विशेष अवस्था में इसे ठीक होने मे 6 से 12 महीने या इससे भी अधिक समय लग सकता है । हालाँकि कुछ दुर्लभ मामलों में अंग्रेजी चिकित्सा से सर्जरी करके इसे ठीक किया जाता है।

अल्सर के लक्षण – Symptoms of Ulcer | Ulcer Symptoms

शरीर की बनावट ऐसी है कि किसी प्रकार के शारीरिक दिक्कत होने पर हमारा शरीर कुछ लक्षणो के माध्यम से हमें सचेत करने लगता है। वैसे ही अल्सर होने पर कुछ शुरुआती लक्षण महसूस होने लगते हैं। ये लक्षण अल्सर की गंभीरता पर निर्भर करता है। अल्सर के कुछ सामान्य लक्षणों में छाती और नाभि के आसपास जलन, मिठा-मीठा दर्द, आहार नाल में दर्द व जलन का होना है। यह लक्षण अल्सर की गंभीरता के साथ-साथ खाली पेट की अवस्था में अधिक अनुभव होता है। अल्सर होने पर दिखने व अनुभव होने वाले कुछ निम्न लक्षण हैं जिन्हे समय रहते पहचान व परीक्षण कराके इसका इलाज किया जा सकता है अन्यथा यह कैंसर जैसी गंभीर रूप ले सकता है।

  • खाने के कुछ समय बाद तेज दर्द
  • पेट के उपरी हिस्से में दर्द
  • पेट में भारीपन का अनुभव (पेट फुलना)
  • पेट में बिना किसी कारण दर्द होना
  • खाते समय आहार नाल में दर्द
  • खाना निगलते समय तेज दर्द
  • सीने में दर्द एवं जलन
  • आहार नाल सूजन का होना
  • बार-बार खट्टी डकार
  • एसिड बनना (बदहजमी)
  • उल्टी अथवा मितली जैसे होना
  • भूख न लगाना या भूख में कमी
  • वजन घटना
  • सांस लेने में परेशानी
  • सुबह-सुबह हल्की मितली का अनुभव
  • खून की कमी होना
  • देर रात्री में असहज दर्द होना
  • मुँह में छाले
  • मसूड़ों में छाले व दर्द
  • मसूड़े फूलना

अल्सर के गंभीर होने पर निम्न जटिल समस्याएँ हो सकती हैं:

  • खांसी में बलगम के साथ खून आना
  • खून की उलटी होना
  • आंतरिक रक्तस्राव
  • मल के साथ रक्त आना
  • काले रंग का मल होना
  • पेट या आँतों में छिद्र होना
  • कैंसर

यदि पेट के अल्सर का समय रहते इलाज किया जाए तो इसके गंभीर प्रभाव से बचा जा सकता है। चूँकि पेट के अल्सर को समय रहते परीक्षण करवा कर तथा सही उपचार कराके इससे ठीक किया जा सकता है। अन्यथा यह अधिक जटिल होने पर व्यक्ति का जान भी ले सकता है।

अल्सर के कारण – Causes of Ulcer

एसिड: पेट में अल्सर होने का मुख्य कारण म्युकस झिल्ली और एसिड (अम्ल) का असन्तुलित होना है। जब किसी कारणवश म्युकस झिल्ली (परत) पेट की नाजुक दिवार को एसिड के प्रभाव से नहीं बचा पाता है और एसिड इन नाजुक व मुलायम दीवारों के ऊतकों को क्षति करने लगता है तो प्रभावित क्षेत्र पर छाले पड़ जाते है जो अल्सर (घाव) का रूप ले लेते हैं।

बैक्टीरिया: अल्सर हेलिकोबेक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण भी होता है| इस बैक्टीरिया के संक्रमण के शुरुआती लक्षण बहुत कम होता हैं जिस कारण इसका पहचान तब तक नहीं कर पाते जब तक कि यह अल्सर बहुत ज्यादा नहीं फैल जाता। यह एक संक्रमण रोग है जो एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से हो सकता है। यह ख़राब भोजन और पानी के सेवन से भी हो सकता है।

दवायें: अधिक समय तक एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक दवाइयाँ (जैसे इबुप्रोफेन), स्टेरॉयड की दवाइयाँ अथवा नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स ((NSAIDs) के सेवन से भी अल्सर होने की बहुत अधिक सम्भावना रहता है। इन दवाओं के अधिक सेवन से शरीर मे कुछ विशेष प्रकार के रसायन नहीं बन पाते हैं जो पेट के भीतरी दिवार एवं छोटी आंत को एसिड के दुष्प्रभाव से बचने में मदद करते हैं।

गलत खान-पान: अल्सर होने ले लिए गलत खाद्य पदार्थ बहुत अधिक जिम्मेदार है जैसे अत्यधिक जंक फ़ूड का सेवन, अत्यधिक चाय, कॉफी, अधिक गर्म भोजन या पानी, तैलीय एवं मसालेदार खाद्य पदार्थ।

धूम्रपान: इसके अलावा अल्सर जैसे रोग के लिए धूम्रपान की आदत, सिगरेट का सेवन, तंम्बाकू खाना या पीना, शराब का सेवन आदि बहुत अधिक जिम्मेदार हैं।

मानसिक और शारीरक तनाव: मानसिक और शारीरक तनाव के कारण भी अल्सर की समस्या हो सकता है।

वृद्ध व्यक्ति: इन्हे पेट की अल्सर होने की खतरा आधिक रहता है। उम्र के साथ-साथ पाइलोरस ढीला होने लगता है जिसके कारण पित्त पेट में रिसने लगता है जिससे पेट की मुलायम सतह की क्षति होती है और अल्सर विकसित होने की संभावना बढ़ जाता है।

ब्लड ग्रुप: ब्लड ग्रुप “ए” एवं “ओ” वाले व्यक्तिओं में अल्सर होने का खतरा अन्य ब्लड ग्रुप के अपेक्षा अधिक होता है। ब्लड ग्रुप “ए” वाले व्यक्तियों में पेट के अल्सर में कैंसरयुक्त अल्सर की अधिक संभावना होता है वहीं ब्लड ग्रुप “ओ” वाले व्यक्तियों में डुओडेनल अल्सर होने की अधिक संभावना रहता है।

अल्सर के प्रकार – Types of Ulcer

अल्सर के प्रकार को उसके होने वाले जगह के आधार पर अलग-अलग नाम दिया जाता है। अतः अल्सर निम्न प्रकार के होते है।

पेप्टिक अल्सर: पेट के आन्तरिक सतह पर या ड्यूडिनल, आंत (अमाशय) के ऊपरी हिस्से अथवा आहार नाल के ऊपरी सतह पर एसिड के अधिकता, एंटीबायोटिक्स, सूजनरोधी अथवा दर्द निवारक दवाओं के सेवन, अत्यधिक स्टीरॉयड्स के सेवन, हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच.पाइलोरी), बैक्टीरिया (जीवाणु) से संक्रमित होने पर छाले पड़ जाते है जिसे पेप्टिक अल्सर कहते हैं। यह तीन प्रकार का होता है :

1) गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcer): अमाशय के भीतरी हिस्से में विकसित होता है।

2) ड्यूडिनल अल्सर (Duodenal Ulcer): छोटी आंत के ऊपर का हिस्सा ड्योडेनम होता है इस हिस्से में होने वाले अल्सर को डुओडेनल अल्सर नाम से जाना जाता है।

3) इसोफैगियल अल्सर (आहार नाल अल्सर): ग्रास नली अथवा आहार नाल में होने वाले छाले की समस्या को इसोफैगियल अल्सर के नाम से जानते है।

इसके अलावा कुछ और निम्न प्रकार के अल्सर होते है।

वेनस अल्सर : ये सूजन, जलन, त्वचा पर खुजली, खुसखुसी जैसी समस्या होती हैं।

धमनी अल्सर : ये लाल, पिले, काले रंग के दिखने वाले त्वचा के बाहरी हिस्से में दिखाई देते हैं। ये रक्त प्रवाह की कमी के कारण विकसित होते हैं।

जननांग अल्सर : ये गुप्तांगों पर या इनके आसपास के क्षेत्र में विकसित होते हैं। इसमें दानें, दर्द, खुजली, सूजन जैसी समस्या होती है।

मुंह के छालें : ये मुँह के आन्तरिक  भाग में विकसित होते हैं। इसमें गाल या जीभ पर छाले, मसूड़ों पर फोड़ा जैसी समस्या होती है।

अल्सर से बचाव – Prevention of Ulcer

  • संतुलित एवं स्वास्थ्यवर्धक आहार का सेवन करें।
  • मिर्च-मसाले एवं तैलिये खाध पदार्थ का सेवन कम से कम करें।
  • जंक फूड के सेवन से बचें।
  • साफ-सुथरा एवं स्वच्छ भोजन एवं पानी का सेवन करें।
  • खाना आराम-आराम से और चबा-चबा कर खायें।
  • समय पर खाना खाएं।
  • अधिक गर्म खाना ना खायें।
  • अधिक गर्म पानी ना पियें।
  • चाय, कॉफी का सेवन बिलकुल कम कर दें।
  • कोल्ड ड्रिंक्स ना लें।
  • ठंडा एवं गर्म खाद्य पदार्थ एक साथ ना खायें।
  • धुम्रपान, तंम्बाकु ना खायें और ना ही पियें।
  • शराब का सेवन ना करें।

अल्सर का इलाज – Treatment of Ulcer

अल्सर के इलाज यदि प्राथिमक स्टेज पर ही शुरू कर दिया जाये तो इसका इलाज बहुत जल्दी प्रभावी होता है किन्तु यदि इसके इलाज में देरी हो तो इसका गंभीर परिणाम हो सकता है। अल्सर के गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर्स द्वारा अलग-अलग जाँच की प्रक्रिया अपनाई जाती है और इसके इलाज के लिए आहार एवं जीवनशैली में परिवर्तन, अम्लरोधी दवाइयाँ, एंडोस्कोपी तकनीक से ऑपरेशन आदि का विकल्प चुने जाते हैं। अल्सर के इलाज ले लिए किए जाने वाले परीक्षण में निम्न तकनीक एवं पद्धति को अपनाया जाता है।

एंडोस्कोपी/ गैस्ट्रोस्कोपी (Endoscopy/Gastroscopy): यह मार्डन तकनीक है जिसमे आंत की परत की परिस्थिति को देखने के लिए एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब का प्रयोग किया जाता है जिसमे अंतिम सिरे पर कैमरा लगा रहता है। जाँच के दौरान यह ट्यूब मुँह के रास्ते पेट में डाला जाता हे और आंत की सतह की परिस्थिति कैमरे के माध्यम से स्क्रीन पर देखा जाता है जिसमे अनुभवी डॉक्टरों द्वारा अल्सर की गंभीरता को सुनिश्चित किया जाता है और उसके आधार पर इलाज शुरू किया जाता है।

बेरियम एनीमा (Barium Enema): इस परिक्षण में एक लुब्रिकेटेड एनीमा ट्यूब गुदाद्वार (मलाशय) के रास्ते से अंदर प्रवेश कराके आंत का एक्स-रे लिया जाता है और अल्सर की स्थिति को देखा जाता है। और अल्सर की गंभीरता को देखते हुए इसका इलाज शुरू किया जाता है।

यूरिया ब्रीद टेस्ट (Urea Breath Test): इस परिक्षण में मरीज को एक विशेष प्रकार का तरल पदार्थ (जो यूरियायुक्त होता है) पिलाया जाता है। इसके बाद लैब में अनुभवी डॉक्टर के द्व्रारा निरीक्षण किया जाता है कि यदि एच. पाइलोरी है तो यह बैक्टीरिया मरीज के शरीर में उपस्थित यूरिया को कार्बन डाइऑक्साइड में बदल रहा या नहीं। और फिर सांस का भी विश्लेषण किया जाता है कि एच.पाइलोरी का संक्रमण है या नहीं।

स्टूल एंटीजन परीक्षण / रक्त परीक्षण (Stool Antigen Test/Blood Test): इस जाँच में मरीज के मल (स्टूल) त्याग के दौरान रक्त का विश्लेषण किया जाता है कि इसमें एच.पाइलोरी उपस्थित है या नहीं। और उसके आधार पर इलाज शुरू किया जाता है।

श्वांस परीक्षण (Breath Test): यह परीक्षण मरीज के इलाज के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि एच. पाइलोरी संक्रमण का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। यदि एच. पाइलोरी बैक्टीरया अभी भी ख़तम नही हुआ है तो डॉक्टर द्वारा इलाज नियमित रखा जाता है।

अम्लरोधी दवाएँ (Antacids): एच. पाइलोरी के संक्रमण को खतम करने के लिए कुछ मेडिसिन्स (दवाएं) दी जाती है और आवश्यक होने पर संक्रमण की गंभीरता देखते हुए डॉक्टर द्वारा अन्य जाँच भी किया जा सकता है।

वैसे ज्यादातर मामले में अल्सर घरेलु उपचार, डॉक्टर द्वारा बताये गए दवा व जीवन शैली एवं खान-पान में सुधार करके ठीक हो जाता है किन्तु कुछ विशेष परिस्थिति में अल्सर के गंभीर हो जाने पर इसे ऑपरेशन करना ही एक मात्र रास्ता बचता है। यदि अल्सर कैंसर का रूप ले लेता है तो इसमें मरीज को जहरीले सांप के जहर से बनी केप्सूल देकर या कीमोथैरेपी करके ठीक किया जाता है।

अल्सर के घरेलू उपाय – Home remedies for stomach ulcer in hindi

यदि सामान्य अल्सर का आप अनुभव कर रहे हैं और इसके लक्षण भी बहुत कम है तो आप इसका इलाज घरेलू उपाय के द्वारा कर सकते हैं। क्योंकि इस प्रकार के अल्सर कुछ समय के लिए गलत खान-पान करने से हो जाता है जो थोड़ी बहुत डॉक्टर के सलाह लेकर या कुछ घरेलू नुक्से से इसे ठीक किये जा सकता है। कुछ घरेलू उपाय निम्न है जिसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

  1. देशी गाय के दूध में कच्चा हल्दी पीसकर मिला लें और इसे दो से पांच दिन तक सेवन करें। आपको एक गिलास दूध में एक सामान्य आकार के चमच्च से एक चमच्च हल्दी मिलाना है।
  2. मुलेठी एक चम्मच मुलेठी पाउडर एक गिलास पानी में मिलाकर 10-15 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद इस पानी छान लें और इस पानी को दिन में तीन से चार बार पियें। इसके लगातार सेवन करने से अल्सर को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
  3. लाल गुड़हल के कुछ फूलों को पीसकर एक गिलास ठण्डा पानी में मिलाकर पिने से अल्सर को ठीक होने में मदद मिलता है।
  4. आंवला दो चम्मच आवंला चूर्ण, सोंठ चूर्ण और दो चम्मच मिश्री पाउडर मिलाकर रात को मिट्टी के वर्तन में भिगो लें। सुबह इस पानी को पियें अल्सर जल्दी ठीक हो जायेगा।
  5. गाजर और पत्तागोभी को बराबर मात्रा में लेकर मिला लें और इसका जूस तैयार करें। दिन में दो से तीन बार इस जूस का सेवन प्रतिदिन करें। इससे अल्सर से जल्दी छुटकारा मिल जाएगा।
  6. मेथी के दाने मेथी के दानों का एक चम्मच की मात्रा लें इसे एक गिलास पानी में उबालें और इसे ठंडा करके छान लें। अब इस पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज दिन में एक से दो बार पियें। इससे अल्सर को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
  7. बेल के पत्तें को पीसकर ठंडे पानी में मिला ले और इसमें थोड़ा सा मिश्री तोड़कर मिला कर पिने के अल्सर में लाभ मिलता है।
  8. बादाम की कुछ मात्रा एक कटोरे ठण्डे पानी में रातभर के लिए भिगायें और सुबह बादाम को चबाकर खाए एवं इस पानी को पी लें इससे भी अल्सर को ठीक करने बहुत लाभ मिलता है। आप बादाम को कच्चे दूध में पीसकर भी सेवन कर सकते है इससे भी बहुत लाभ होता है।
  9. नारियल पानी, संतरा, निम्बू पानी से भी सामान्य अल्सर में लाभ मिलता है।
  10. केला, नारियल, गाजर, मेथीदाना, पत्तागोभी एवं सहजन का सेवन से लाभ मिलता है। इसके अलावा आप ठण्डे तासीर का खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकते हैं इनसे भी अल्सर में लाभ मिलता है।
  11. शहद एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर औषधिये पदार्थ है जो एंजाइम हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उत्पादन पर्याप्त मात्रा मे करता है। यह एंजाइम अल्सर पैदा करने वाले बैक्टीरिया “हेलिकोबैक्टर पाइलोरी” (Helicobacter Pylori) से लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा शहद मे औषधिये गुण से भरपूर होने के कारण कुछ प्रकार के कैंसर, आंखों का स्वास्थ्य, हार्ट डिजिज और स्ट्रोक जैसे समस्याओं में भी बहुत फायदेमंद होता है।एक बड़ा चम्मच शहद, एक गिलास गर्म पानी और एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से अल्सर की परेशानी बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :

1) पेट के अल्सर (छाले) कैसे महसूस होते हैं?

पेट में अल्सर होने के दौरान पेट में दर्द होता है जो विभिन्न प्रकार से अनुभव किया जा सकता है।यह दर्द कभी मीठा (हल्का), कभी तेज, कभी पाली पेट होने पर, रात के समय पेट में दर्द एवं पेट के अन्दर असहज अनुभव होता है जैसे भारीपन, अपच, बेचैनी, कुतरन जैसा दर्द।

2) अल्सर का दर्द पेट के किस हिस्से में होता है?

अल्सर होने के दौरान पेट के मध्य भाग, ऊपरी मध्य भाग, नाभि के ऊपर व पेट के मध्य भाग के निचे हिस्से में जलन, ऐंठन (ममोड़न) एवं कुतरने जैसा दर्द महसूस होता है यदि इसका प्रभाव अधिक है तो यह पीठ तक भी जा सकता है।

3) अल्सर को नज़र अंदाज़ करने पर क्या प्रभाव होता है?

यदि अल्सर को नज़र अंदाज किया जाये और यह बढ़ जाये तो इससे एनीमिया (खून की कमी) हो सकता है क्योंकि अल्सर के जटिल होने पर खून की उल्टी, मल के साथ रक्त आने लगता है।

4) तनाव के कारण अल्सर हो सकता है?

हाँ, अधिक तनाव के कारण शरीर की कई तरह की प्रक्रियायें बाधित हो जाती हैं जिसके कारण एसिड की मात्रा बढ़ने लगता है जो अल्सर होने का मुख्य कारण है।

5) अल्सर की स्थिति का पता कैसे लगाएं?

अल्सर है या नहीं एवं अल्सर किस स्टेज में है का पता विभिन्न प्रकार के परीक्षण करके किया जाता है। इन परिक्षण में एंडोस्कोपी/ गैस्ट्रोस्कोपी, बेरियम एनीमा, यूरिया ब्रीद टेस्ट, स्टूल एंटीजन परीक्षण / रक्त परीक्षण, श्वांस परीक्षण एवं एक्स-रे शामिल है जो मरीज की अवस्था व अल्सर की गम्भीरता के अनुसार जाँच किया जाता है।

6) अल्सर होने पर क्या न खाएं?

मसालेदार फूड्स, जंक फूड्स, गर्म चाय या कॉफी, शराब, बीड़ी-सिगरेट, तंम्बाकू का सेवन ना करें।

7) अल्सर से कैंसर हो सकता है क्या?

गैस्ट्रिक अल्सर का यदि समय पर सही इलाज न किया जाए तो यह आंतों में कैंसर का कारण भी बन सकता है।

8) अल्सर का दूसरा नाम क्या है?

पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रिक अल्सर

9) दही अल्सर के लिए अच्छा है?

दही प्रोबायोटिक्स नामक “अच्छे” बैक्टीरिया का मुख्या स्रोत है। यह एच. पाइलोरी बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़कर या उपचार को बेहतर करता है और अल्सर को ठीक करने में मदद करता है।

10) अल्सर में खाली पेट क्या खाना चाहिए?

फूल गोभी में मौजूद केमिकल अल्‍सर के लिए लाभकारी होता है, वहीं पत्‍ता गोभी का जूस भी एंटी पेप्टिक अल्‍सर के लिए लाभकारी है जो अल्‍सर को ठीक करने में मदद करता है। मूली में एंटी अल्‍सर गुण होते हैं जो शराब के अत्‍यधिक सेवन से होने वाले कैस्‍ट्राइटिस और गैस्ट्रिक अल्‍सर के उपचार में प्रभावी साबित होते हैं।

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