गठिया जिसे अंग्रेजी में ‘आर्थराइटिस’ (Arthritis) के नाम से भी जाना जाता है। गठिया (आर्थराइटिस) एक वातरोग होता है। आजकल की बदलती जीवनशैली और गलत खानपान ने कई बीमारियों का खतरा बढ़ा दिया है। लोग जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, बाहर का स्पाइसी खाना आदि को बहुत शौक से और ज्यादा सेवन करने लगे हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे न केवल मोटापे का शिकार हो रहे हैं बल्कि गठिया अथवा अर्थराइटिस जैसी पीड़ादायक बीमारियों के भी खतरे का भी सामना करने लगे हैं।
गठिया एक जोड़ों की जोड़ने वाली आर्थ्राइटिस (जोड़ों की सूजन) की एक सामान्य चिकित्सा स्थिति है। यह एक प्रकार की जोड़ों की स्थिति है जो अक्सर घुटनों, हड्डियों और बाजू की जोड़ों के आसपास होता है। गठिया जोड़ों की आंतरिक तंत्रों में जलन, सूजन, दर्द व कमजोरी के कारण होता है जो व्यक्ति की दिनचर्या में अधिक दिक्कत पैदा कर सकता है। यह बीमारी वयस्कों, विशेषकर बड़े आयु वाले व्यक्तियों में अधिक होता है जिनका उम्र 60 वर्ष से ऊपर है। समय रहते गठिया रोग की पहचान करके इसका उपचार बहुत जरूरी है नहीं तो यह एक गंभीर रोग हो सकता है जो समय पर उपचार न किया जाए तो जोड़ों को और भी बिगाड़ सकता है।
यह रोग आज कल न केवल बूढ़े वर्ग में देखने को मिलता है बल्कि इसकी चपेट में नौजवान लोग भी आ रहे हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के अंदर यह शिकायत ज़्यादा देखने को मिलती है, खासतौर से उनके जिनका वजन अधिक हो। यह रोग शरीर के किसी भी जोड़ से शुरू हो सकता है और समय के साथ-साथ यह शरीर के बाकी जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। अर्थराइटिस ज्यादातर घुटनों और कूल्हे की हड्डियों पर अधिक प्रभाव डालता है।
भारत में लगभग 18 करोड़ लोग अर्थराइटिस की बीमारी से प्रभावित होते हैं। 2011 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (Global Burden of Diseases, GBD), इंजरीज़ एंड रिस्क फैक्टर के स्टडी के अनुसार सिर्फ घुटनों के अर्थराइटिस (Arthritis) से 6.2 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
गठिया रोग क्या है (What is arthritis)
अर्थराइटिस एक रोग है जो जोड़ों की एक स्थिति होता है जिसमें जोड़ों में दर्द, सूजन और विकृति होती है। यह जोड़ों की आंतरिक तंत्रों में कार्टीलेज ऊतक के क्षति के कारण होता है। जब व्यक्ति चलता है, उठता है, बैठता है तो उसके जोड़ों पर काफ़ी दबाव पड़ता है। कार्टीलेज ऊतक इस स्थिति में उस दबाव अथवा प्रेशर को अवशोषित कर लेते हैं और हड्डियों को डैमेज होने से बचाते हैं। अर्थराइटिस का प्रभाव जोड़ों, बॉन्स, मसल्स और लिगामेंट्स पर होता है जिससे व्यक्ति को उठने बैठने, चलने मे दर्द और अन्य गतिविधियों में कठिनाई होता है। यह रोग व्यक्ति की दिनचर्या और गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।
यह एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम हड्डियों और टिश्यूज़ पर हमला करता है। इसकी शुरुआत एक दिन में नहीं होती, बल्कि जब गठिया शुरू होता है तो शरीर में धीरे-धीरे बदलाव आने लगते हैं, जिन्हें लोग अक्सर नजर अंदाज कर देते हैं। इस समस्या की पहचान समय पर कर ली जाए तो इस से बचा जा सकता है।
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गठिया का कारण | Arthritis Causes
गठिया रोग का कोई एक मुख्य कारण नहीं है। बल्कि कई गतिविधियों से इसके उत्पन्न होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
1. उपास्थि (नरम हड्डी) की कमजोरी: उपास्थि (नरम हड्डी) की कमजोरी गठिया (आर्थराइटिस) होने का मुख्य कारण हो सकती है। उपास्थि (कमजोर हड्डी) जो पके जोड़ों में हड्डियों के सिरों को कुशन करती है, धीरे-धीरे खराब हो जाती है। जब उपास्थि की कमजोरी होती है, तो जोड़ों के बीच के कार्टिलेज (एक नरम और लचीला ऊतक) को सही रूप से स्थिर नहीं रख पाता, जिसके कारण एक हड्डी दूसरी हड्डी से रगड़ती है और उनमें दर्द व सूजन की समस्याएं उत्पन्न हो जाता है। यह आर्थराइटिस के विकास में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है जो जोड़ों की चालने और काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
2. प्रतिरक्षा प्रणाली का हमला: प्रतिरक्षा प्रणाली का हमला भी गठिया (आर्थराइटिस) होने का एक कारण हो सकता है। शरीर की कुछ ऐसी अवस्था जब प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला करके उन्हें नष्ट करने लगती है तो जोड़ों में दर्द और सूजन हो सकती है। यह आर्थराइटिस के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिसे गठिया रोग होने का कारण हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इम्यून सिस्टम के सही रूप से कार्य नहीं करने के कारण रूमेटाइड अर्थराइटिस के होने की संभावना बढ़ जाता है।
3. मांसपेशियों में कमजोरी: पोषक तत्वों या अन्य कारणों से मांसपेशियों में कमजोरी आने पर जोड़ों में दर्द हो सकता है जो गठिया (आर्थराइटिस) के होने का योगदान कर सकती है। जब हमारी मांसपेशियाँ कमजोर होती हैं तो जोड़ों को सही से स्थिर रखने और उनके चालने की क्षमता में कमी हो सकती है जिससे वे जोड़ों पर अत्यधिक दबाव डालते हैं। इससे कार्टिलेज कमजोर हो सकता है और दर्द एवं सुजन का बढ़ना शुरू हो सकता है जो गठिया के लक्षणों का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
4. उम्र: जब वयस्कता बढ़ती है तो शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है जिससे हड्डियां कमजोर पड़ने लगती हैं और जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। बढ़ती उम्र के साथ साथ (60 साल की आयु या इससे अधिक) में गठिया होने की संभावना अधिक होती है।
5. वजन बढ़ना: मोटापा वैसे विभिन्न बीमारियों को जन्म देता है जिसमे शरीर के जोड़ कमजोर होना भी एक कारण है। गठिया होने का कारण वजन बढ़ना हो सकता है। ज्यादा वजन लेने के कारण, शरीर के जोड़ों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है विशेषकर घुटनों, घुटीयों और पैरों पर। यह अत्यधिक दबाव जोड़ों के कार्टिलेज पर होता है जो उन्हें कमजोर और दर्दनाक बना सकता है आधे जीवन में गठिया विकसित होने का कारण बन सकता है।
6. चोट लगना: किसी दुर्घटना या खेल-कूद में हुई चोट के कारण आर्थराइटिस विकसित होने की संभावना होती है। जब व्यक्ति को चोट लगती है तो उनकी हड्डियों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। इससे ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या उत्पन्न होने की संभावना अधिक होता है।
लंदन की मेडिकल यूनिवर्सिटी में कई सालों के कठिन प्रयोग और शोध के बाद यह खुलासा हुआ कि 400 लोगों में से लगभग 11 प्रतिशत लोगों को घुटनों में गठिया की समस्या थी। इस जांच में यह भी खुलासा हुआ कि सभी लोगों की घुटनों पर आने वाली चोट विभिन्न प्रकार की थी। 22 प्रतिशत लोगों की घुटनों में गहरी चोट थी, 18 प्रतिशत लोगों को घुटने कटने से परेशानी हुई और लगभग 18 प्रतिशत लोगों को घुटनों के टिश्यू के टूटने से समस्या थी।
7. आनुवंशिकी का प्रभाव:गठिया होने का आनुवंशिकी प्रभाव बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह रोग आमतौर पर परिवार में उन व्यक्तियों को प्रभावित करता है जिनके परिवार में इस रोग के पूर्वज थे। अगर किसी के माता-पिता या पुरखों में गठिया हो, तो उनके बच्चों के भी इस रोग के होने की संभावना बढ़ जाती है। यह आनुवंशिक रोग होने का कारगर इंडिकेटर हो सकता है और इससे व्यक्ति अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रख सकता है।
गठिया के लक्षण अथवा गठिया रोग की पहचान | Symptoms of Arthritis or Diagnosis of Arthritis
1. सुबह उठते ही जोड़ों में हल्का दर्द या जलन महसूस होना – Feeling slight pain or burning sensation in joints as soon as you wake up in the morning:
गठिया के प्रथम संकेत में जोड़ों मे दर्द होना एक प्रमुख लक्षण है जो सुबह सुबह विस्तर से उठते ही महसूस किया जा सकता है। ऐसी स्थिति को आर्थ्राल्जिया (Arthralgia) कहा जाता है। यह दर्द हल्का या जलन जैसा महसूस हो सकता है। इसकी शुरुआत जोड़ों के बहुत अधिक उपयोग के बाद होती है जैसे कि घर के कामों कों तेज़ी से करने, बार बार या अधिक सीढ़ियां चढ़ने उतरने और अधिक भाग-दौड़ अथवा ज्यादा व्यस्तता के कारण हो सकता है।
2. जोड़ों के आस-पास दर्द एवं सूजन – Pain and Swelling around the joints:
गठिया की आरंभिक अवस्था में, आप अपने जोड़ों के आस-पास सूजन महसूस करने लगते हैं। वास्तविकता में, यह आपकी मांसपेशियों और हड्डियों में घिसने के कारण टिशूज में एक प्रकार की सूजन पैदा होती है। इस प्रकार आपकी टखनों, घुटनों और ताक पर त्वचा में रेडनेस और सूजन का एहसास हो सकता है। इस बीमारी में जोड़ों के आस-पास दर्द होता है जो आमतौर पर सुबह उठने पर या जोड़ों का उपयोग करने पर अधिक महसूस होता है। यह सूजन बारिश या ठंडी के मौसम में बढ़ सकती है। यह लक्षण व्यक्ति की दिनचर्या में परेशानी उत्पन्न कर सकते हैं।
3. हड्डियों में अकड़न – Stiffness in bones:
गठिया से पहले, लोग अकड़न की समस्या का अनुभव कर सकते हैं। उन्हें यह लग सकता है कि वो काम जिन्हें पहले आसानी से किया करते थे अब उस काम को करने मे समय लगा रहा है और ये कार्य अब इतनी आसानी से भी नही हो पा रहे है। अकड़न व्यक्ति के हाथों, कलाइयों, बाहों और घुटनों के पास महसूस हो सकता है।
4. जोड़ों से आवाज़ आना – Joints noise:
गठिया में, जोड़ों से आवाज़ आने का एक आम लक्षण होता है। यह लक्षण जोड़ों की गठिया के प्रकार और स्थिति पर निर्भर करता है लेकिन इसके तहत आपके जोड़ों की चलने पर आवाज़ आ सकती है जैसे कि क्रिकेट बॉल को पकड़ने या किसी वस्त्र को बढ़ाने में अथवा अन्य किसी काम में। इस आवाज़ को “क्रीक्री” या “क्रेकिंग” कहा जाता है। यह जोड़ के आस-पास के टिशूज में गठिया के कारण होती है जो जोड़ में खराबी का कारण बनती है। यदि आपको इस तरह की आवाज़ का अनुभव होता है तो चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है ताकि सही निदान और उपचार प्राप्त किया जा सके।
5. अन्य लक्षण – Other Symptoms:
- जोड़ों में दर्द और सूजन
- जोड़ों की स्थिरता में कमी
- सुबह के समय जोड़ों में दर्द
- जोड़ों की बंदूकी (चट या चटकने) जैसी आवाज
- जोड़ों की चरम गठिया (रेवमैटॉयड आर्थराइटिस)
- जोड़ों की मोटापें
- जोड़ों में खुजली और रेडनेस
- जोड़ों की तकलीफें
- जोड़ों की शिथिलता
- जोड़ों का रिगिडिटी (कड़ीपन)
- सुबह सुबह मांसपेशियों में खिचाव
- बालू या गोंदफली जैसा बालू जैसा भारीपन महसूस होना
- मांसपेशियों की जलन और दर्द
- त्वचा की बदलती रंगत या गरमाहट महसूस होना
- वायरल बुढ़ापे के लक्षण (जोड़ों की कमजोरी)
- सामान्य रुचि की कमी और थकान
- जोड़ों की चलने में कठिनाई और असमर्थता
- पैरों के तलवों में सूजन
- दादी या अंडकोष में दर्द
- जोड़ों में टेंडरनेस (स्पर्श से दर्द)
कृपया ध्यान दें कि गठिया के लक्षण और उनकी गंभीरता व्यक्ति के रोग के प्रकार और स्थिति पर निर्भर कर सकते हैं, और यह बेहद महत्वपूर्ण होता है कि चिकित्सक से परामर्श और निदान प्राप्त करें। यह संभावित लक्षण हो सकते हैं और यदि आपको ऐसे किसी भी लक्षण का सामना हो तो चिकित्सक से परामर्श लेना सबसे उचित होगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQ)
Q1. कौन-कौन से जोड़ प्रभावित होते हैं?
- A. गठिया का प्रभाव आमतौर पर घुटनों, पैरों, हाथों, कन्धों और कलाइयों जैसे जोड़ों पर होता है।
Q2. क्या जोड़ों में सूजन होती है?
- A. हाँ, गठिया में जोड़ों में सूजन होती है जिसके कारण जोड़ों के परिसर में गर्माहट (जलन) और सूजन महसूस होती है।
Q3. जोड़ों में दर्द कैसा होता है?
- A. गठिया में जोड़ों में आमतौर पर दर्द जोड़ों की गतिविधि के दौरान और सुबह मे होता है यह दर्द हल्का से लेकर तीव्र हो सकता है।
Q4. क्या सुबह उठते ही जोड़ों में दर्द होता है?
- A. हाँ, गठिया में अक्सर व्यक्ति सुबह उठते ही जोड़ों में दर्द महसूस कर सकते हैं।
Q5. क्या जोड़ों की स्थिति में परिवर्तन आता है?
- A. जी, गठिया में जोड़ों की स्थिति में समय के साथ परिवर्तन आ सकता है जैसे गठिया के विकास के साथ जोड़ों की मोटापें बढ़ सकती हैं।
Q6. क्या जोड़ों से आवाज़ आती है?
- A. हाँ, गठिया में जोड़ों से आवाज़ आ सकती है जब व्यक्ति उन्हें घुमाता या मोड़ता है।
Q7. क्या जोड़ों की गर्माहट और खराबी महसूस होती है?
- A. हाँ, गठिया में जोड़ों की गर्माहट और खराबी महसूस हो सकती है।
Q8. बारिश या ठंडी के मौसम में लक्षणों में परिवर्तन होता है?
- A. हाँ, बारिश या ठंडी के मौसम में गठिया के लक्षणों में परिवर्तन हो सकता है और लक्षण बढ़ सकते हैं।
Q9. क्या कोई विशेष आराम देने वाला इलाज है?
- A. हाँ, गठिया के इलाज के लिए चिकित्सक आपको विशेष आराम देने वाले इलाज की सलाह देंगे।
Q10. क्या खान-पान और व्यायाम में कोई विशेष बदलाव करना चाहिए?
- A. हाँ, गठिया में आपको खान-पान और व्यायाम में विशेष बदलाव करना चाहिए जो आपके चिकित्सक द्वारा परामर्श दिया गया हो।