विटामिन ई शरीर ले लिए अन्य महत्वपूर्ण विटामिन्स में से एक है जो शरीर के विभिन्न क्रियाओ में भाग लेकर व्यक्ति को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर के फ्री रेडिकल्स को कम करता है और स्किन में ग्लो व चेहरे को चमकदार बनाये रखने में मदद करता है। विटामिन ई एक वसा में घुलनशील एक यौगिक है इसका रासायनिक नाम “टोकोफेरॉल” है। इसके कमी को पूरा करने के लिए उपयोग किये गए विटामिन ई कैप्सूल के नुकसान भी हो सकते हैं इसलिए आपको चाहिए कि इसके पूर्ति के लिए प्राकृतिक स्रोत का उपयोग करें। आइये इसके कमी के लक्षण, कारण व इसके केप्सूल के साइड इफेक्ट को विस्तार से जानें।
विटामिन-ई एक एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और इम्यूनिटी को स्ट्रांग रखता है व याददाश्त तेज रखने में मदद करता है। इसके कमी के कारण कई प्रकार के छोटी-छोटी समस्याओं के साथ-साथ कभी-कभी बहुत गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए विटामिन ई उतनाही जरुरी है जितना की अन्य विटामिन्स। वहीं यदि इसके पूर्ति के स्रोत को ध्यान से नहीं चुना जाये तो इसका ख़राब परिणाम भी देखने को मिल सकता है। विटामिन ई प्रोस्टाग्लैंडिन नामक हार्मोन को बनाने में अहम भूमिका निभाता है। यह हार्मोन कई प्रकार की शारीरिक प्रक्रियाओं में भाग लेकर ब्लड प्रेशर और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को ठीक रखने में मदद करता है।
कौन नहीं चाहता है कि उसका चेहरा का स्किन ग्लोइंग (निखार), चमकदार (शाइनी), हेल्दी, खिला हुआ दिखे। इसमें महिलायें दो कदम और आगे हैं जो स्किन केयर पर बहुत ध्यान देती हैं और खुबसुरत दिखने के लिए स्किन केयर रूटीन फॉलो करतीं हैं। वे मार्केट (बाजार) में मिलने वाले महंगे से महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स का उपयोग करती हैं जबकि इन प्रोडक्ट्स में अधिक मात्रा में अन्य केमिकल्स को मिलाया जाता है जिसका लम्बे समय तक उपयोग करने पर नुकसान भी हो सकता है। चूँकि इन सभी के लिए विटामिन ई मुख्य भूमिका निभाता है इसलिए आप विटामिन ई का उचित व पर्याप्त मात्रा में उपयोग करके अपने स्किन को बेहतर निखार और शाइनी बना सकते हैं। किन्तु विटामिन ई के स्रोत, मात्रा, उपयोग का तरीका व उपयोग का सही टाइम की जानकारी होना अति आवश्यक है।
विटामिन ई की कमी के लक्षण
विटामिन ई की अवश्यकता शरीर को उतना ही है जितना आवश्यकता विटामिन सी, डी, व बी12 की। एक सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए सभी विटामिन्स अतिआवश्यक होते है जिनके कमी के करने विभिन्न बीमारियाँ हो सकती है। वैसे ही विटामिन ई की कमी के कारण भी की शारीरक समस्या उत्पन्न हो जाती हैं।
विटामिन ई की कमी होने पर शरीर शुरुआती संकेत देने लगता है जिसके प्रभाव को आप अपने शरीर में कुछ लक्षण के रूप में अनुभव कर सकते हैं। इसलिए जरुरी है कि समय रहते ही इन लक्षणों को पहचान कर इसके पूर्ति के लिए उचित उपचार किया जाये अन्यथा इसके कमी के प्रभाव से गंभीर बीमारियों का सामान करना पड़ सकता है। विटामिन ई की कमी की पूर्ति सामान्यतः घरेलू उपाय व स्वस्थ आहार को अपने डाइट में शामिल करके कर सकते हैं। किन्तु यदि ये लक्षण अधिक समय तक बने रहते हैं तो अपने डॉक्टर से अवश्य सम्पर्क करें। विटामिन ई की कमी से दिखने वाले लक्षण निम्नलिखित है।
- अंगो में सूनापन होना
- मांसपेशियों में कमजोरी आना
- मांसपेशियों में दर्द महसूस होना
- मांसपेशियों में अकड़न व खिंचाव महसूस होना
- हडि्डयों में अचानक दर्द होना
- हडि्डयों में चटक की आवाज आना
- कोआर्डिनेशन और चलने में दिक्कत
- आँखों की रोशनी में कमी होना (धुंधला अथवा झिलमिल झिलमिल दिखना)
- बालों का गिरना
- बालों का सफ़ेद होना
- बालों में रुखापन आना
- स्किन ड्राई होना
- स्किन पर दाग-धब्बे होना
- स्किन में स्केल्स पड़ना
- झुर्रियों की समस्या
- चेहरे की रंगत का बिगड़ना
- नाख़ून कमजोर होना
- स्किन सफेद पड़ जाना
- चेहरे पर एक्ने अथवा पिंपल्स होना
- इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याएं
- बार-बार इंफेक्शन का होना
- अधिक तनाव महसूस होना (स्ट्रेस)
विटामिन ई कैप्सूल के फायदे
विटामिन ई बेहतरीन क्लिंजर, आरबीसी निर्माण, मानसिक रोग, एंटी एजिंग, हार्ट स्ट्रोक में कमी, त्वचा में प्राकृतिक नमी, यूवी किरणों से बचाव, अल्जाइमर की कमी, कैंसर से बचाव, डायबिटीज में लाभ, स्ट्रौंग इम्यून सिस्टम, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रण और शरीर में वसीय अम्लों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इसके आलावा यह थायराइड और पिट्यूटरी ग्रंथि के कार्य संचालन को सुचारु से करने में मदद करता है।
मजबूत नाखून : दिन भर के नियमित कार्य में नाखुनो का बहुत प्रयोग होता है खाना बनाना हो, बर्तन धोना हो, कपड़े धोना हो अथवा बागवानी करनी हो। ऐसे काम में नाख़ून ज्यादा इस्तेमाल होते हैं जिसके करण ये ख़राब होने लगते हैं। विटामिन ई नाखुनो को स्वस्थ रखने में मदद करता है और मजबूत बनता है। इसके लिए आप विटामिन ई के कैप्सूल और जैल अथवा तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। विटामिन ई नाखूनों को टूटने, पीला पड़ने से रोकने व तेजी से बढ़ाने में मदद करता है।
नाइट क्रीम : विटामिन ई में मॉइस्चराइजिंग के गुण पाया जाता है। इसका कैप्सूल, जेल अथवा तेल को नाइट क्रीम के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे आप अपने नाइट क्रीम में बहुत ही थोड़ा मात्रा (एक बूंद) मिलाकर लगाते हैं तो यह एक सीरम के जैसे कार्य करता है और आपके चेहरे के स्क्रीन को नमी प्रदान करता है।
बालों का ग्रोथ : विटामिन ई के कैप्सूल को नारियल तेल अथवा एलोवेरा के जैल में मिलकर सप्ताह में दो बार लगाने से बाल घने, चमकदार, मुलायम व लम्बे होने लगते हैं। विटामिन ई के एक केप्सूल को 50ml तेल अथवा जैल में निचोड़ कर मिला लें और इसके मिश्रण को अपने बालों में धीरे-धीरे मालिश कर 2-3 घंटे बाद धों लें।
एंटी रिंकल स्किन क्रीम : विटामिन ई के केप्सूल को एंटी रिंकल स्किन क्रीम के रूप में उपयोग कर सकते हैं। एलोवेरा जैल में एक केप्सूल को निचोड़ मिला लें हुए इसे रात में फेस (चेहरे) पर लगाएं। इससे चेहरे की झुर्रिया नष्ट हो जाती हैं और चेहरा चमकदार हो जाता है। विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कोशिकाओं के क्षति को पूर्ण करता है और रक्त संचार में मदद करता है।
विटामिन ई कैप्सूल के नुकसान
विटामिन ई के केप्सूल के साइड इफेक्ट वैसे तो कम ही देखने को मिलता है लेकिन इसका ओवर-डोज का सेवन कर लिया जाये तो इसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। यदि आप किसी ऐसी समस्या से परेशान है जैसे “रोजेसा” तो विटामिन ई के केप्सूल से इसकी परेशानी और बढ़ सकता है। विटामिन ई में उपस्थित “एंटी कोऐग्यलन्ट” रक्त प्रवाह (ब्लीडिंग) को बढ़ा सकता है तथा रक्त को जमने कि क्षमता को भी कम कर सकता है। ये सब प्रभाव केवल केप्सूल के सेवन से ही हो सकता है इसलिए डॉक्टर के परामर्श के बिना विटामिन ई का केप्सूल ना लें। इसके और अन्य निम्न साइड इफेक्ट हो सकते है।
रैशेज (चकता) : विटामिन ई के केप्सूल को त्वचा पर लगाने से कई लोगों को प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है जैसे त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना, इन चकतों के कारण त्वचा में सूजन, जलन और खुजली जैसी समस्या देखने को मिल सकता है। इस प्रकार की समस्या संवेदनशील त्वचा पर ज्यादा देखने को मिलती है।
कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस : विटामिन ई के केप्सूल के सेवन से कई बार व्यक्ति को कॉन्टैक्ट डर्माटाइटिस की समस्या हो सकता है। डर्माटाइटिस त्वचा की एक परिस्थिति को कहते हैं जिसमे व्यक्ति के त्वचा पर सूजन, चेहरे पर अत्यधिक सूजन, स्किन का कठोर पड़ना, खुरदुरी, सुखी व खुजलीदार त्वचा, आँखों के अन्दर जलन, मुंह आना, घाव या अल्सर जैसी समस्यायें होती हैं।
यदि विटामिन ई कैप्सूल लगाने के बाद आपको ऐसी समस्या महसूस हो रही है और इससे जल्दी राहत नहीं मिल रहा है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरन्त संपर्क करना चाहिए अन्यथा यह डर्माटाइटिस का प्रभाव त्वचा के साथ-साथ आंखों व मुंह के अंदर भी पहुंचने की अधिक सम्भावना रहती है। वही एलर्जी कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस की समस्या बढ़ने पर आपको अन्य गंभीर परेशानीयों का सामना करना पड़ सकता है।
एलर्जी : यदि आपको पहले से किसी चीज से एलर्जी हो तो विटामिन ई की केप्सूल का उपयोग करने से पहले एक बार सुनिश्चित करले कि कहीं इस केप्सूल से भी और समस्या ना बढ़ जाये। यह संभव है कि त्वचा पर विटामिन ई को लगाने से त्वचा पर दानें, खुजली, त्वचा पर लालिमा, चेहरे पर सूजन, दाग-धब्बे अथवा चकते (रैशेज) जैसी समस्या हो जाये।
संवेदनशीलता : विटामिन ई केप्सूल के चेहरे पर लगाने से कुछ विशेष प्रकार की असहज संवेदनशीलता का अनुभव हो सकता है। यह संवेदनशीलता एलर्जी का प्राथमिक संकेत हो सकता है। इस लिए जरुरी है कि ऐसा अनुभव होने पर अपने चेहरे को साफ पानी से धो लें अन्यथा यह गंभीर एलर्जी का रूप ले सकता है।
दाग-धब्बे : कुछ लोगों को विटामिन ई कैप्सूल लगाने से चेहरा साफ और साइनी दिखने लगता है लेकिन कभी-कभी विटामिन ई केप्सूल का प्रभाव विपरीत भी हो सकता है। कई बार तो इसका इंफेक्शन कुछ समय बाद दिखता है और स्किन पर काले, लाल, व अजीब तरह के दाग-धब्बे नजर आने लगते हैं।
ब्लड प्लेटलेट काउंट में कमी : कई रिसर्च में यह पाया गया है कि विटामिन ई कैप्सूल को ओरली लेने पर ब्लड में प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाते हैं। इससे ब्लड पतला हो जाता है और थकान सहित कई अन्य बीमारियां होने की संभावना रहती हैं इसलिए डॉक्टर से परामर्श किए बिना इसे ओरली न लें।
विटामिन-ई का प्रकृतिक स्रोत
प्रकृति ने सभी रोग की दवा हमारे आस-पास उपलब्ध कराया है बस हमे जरुरत है उन्हें पहचानकर अपने उपयोग में लेन की। इसी तरह विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए भी विभिन्न विकल्प हमारे आस-पास हे और उनमे से बहुत सारे चीजों का उपयोग हम करते भी है लेकिन किसी न किसी कारण वस कुछ कमी रह जाती है जिसके कई वजह हो सकता है जिसमे से एक प्रमुख कारण जानकारी का नहीं होना है। विटामिन ई का मुख्य स्रोत एक स्वस्थ आहार है। यदि आप अपने आहार से किसी कारण-वस विटामिन ई प्राप्त नहीं कर पा रहे है अथवा स्वस्थ आहार ही नहीं ले पा रहे हैं तो विटामिन की कमी अवश्य हो सकती है।
विटामिन ई की कमी से बचने के लिए प्रति दिन विटामिन ई युक्त भोजन लेना चाहिए जिसमे इसकी पर्याप्त मात्रा हो। विटामिन ई प्लांट बेस्ड ऑयल है जैसे नट्स, सीड्स, फ्रूट्स और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जैसे : गेहूं का तेल, सरसो व सोयाबीन का तेल,ऑलिव ऑयल, राई, बादाम, सूरजमुखी के बीज, अंडे, अखरोट मूंगफली और पीनट बटर, बीट ग्रीन, कोलार्ड ग्रीन, हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, कद्दू , लाल शिमला मिर्च आदि सब्जियों, शतावरी (एस्पैरेगस),आम, पपीता , कीवी, केला, होल ग्रेन्स, बादाम, मूंगफली, एवोकाडो आदि।
यदि आप अपने आहार में विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने के बाद भी विटामिन ई की कमी से जूझ रहे हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए आपका डॉक्टर इसके सप्लीमेंट्स के सेवन लिए बोल सकते हैं जो कुछ दिनों के लिए हो सकता है।
विटामिन बी की कमी से होने वाले रोग