क्या आप भी जूझ रहे हैं फेस ब्लाइंडनेस ‘प्रोसोपैग्नोसिया’ से, चेहरे याद न रख पाना ये एक बीमारी है या दिमाग़ी स्थिति?

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को किसी व्यक्ति के चेहरे को पहचानने में समस्या होती है। इसे “प्रोसोपैग्नोसिया” भी कहा जाता है जो एक प्रकार की मानसिक स्थिति है। फेस ब्लाइंडनेस के स्थिति में व्यक्ति चेहरों को पहचानने में मुश्किल महसूस करता है। इस स्थिति में व्यक्ति चेहरों को याद नहीं रख पाता और उन्हें पहचानने में समस्या होती है भले ही उन चेहरों को पहले भी देखे हों।

फेस ब्लाइंडनेस ‘प्रोसोपैग्नोसिया’ का मतलब | Meaning of Face Blindness ‘Prosopagnosia’

कई बार ऐसी स्थिति मे व्यक्ति दूसरे किसी व्यक्ति की आंखों की स्थिति, मुस्कान, नाक आदि की स्थिति सुनिश्चित नहीं कर पाता है। यह स्थिति विभिन्न कारणों से हो सकती है जैसे जन्मजातीय, दिमागी असामर्थ्य अथवा असंतुलन या यह किसी घातक प्रकार की चोट के कारण हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति लोगों को उनके चेहरे से पहचानने में मुश्किल होता है। यह एक दिमागी स्थिति होती है जो किसी की रोज़मर्रा की जिन्दगी को प्रभावित कर सकता है और सामाजिक इंटरएक्शन्स में भी परेशानी पैदा कर सकता है।

दिल्ली का एक हॉस्पिटल ‘सेंट स्टीफ़न’ में मनोचिकित्सा विभाग की सीनियर डॉक्टर रूपाली शिवलकर के अनुसार ”जब दिमाग़ के दाहिने निचले हिस्से में जहां चेहरे पहचानने की दक्षता होती है वहां ब्लड की सप्लाई नहीं हो पाता या बहुत कम होता है ऐसी स्थिति मे व्यक्ति को प्रोसोपैग्नोसिया यानी फेस ब्लाइंडनेस होने की अधिक संभावना होता है।

डॉक्टर रूपाली के अनुसार भारत के कुल जनसंख्या आंकड़ा का 2 से 3 प्रतिशत के बीच लोग प्रोसोपैग्नोसिया से पीड़ित हैं।

प्रोसोपैग्नोसिया यानी फेस ब्लाइंडनेस के शिकार मशहूर हस्तियां जैसे प्राइमेटोलोजिस्ट जेन गुडॉल, अभिनेता ब्रैड पिट, भारतीय अभिनेत्री और ट्रैवल इनफ़्लूएंसर शहनाज़ ट्रेज़रिवाला (जो शाहिद कपूर के साथ ‘इश्क विश्क’ से बॉलीवुड में अपना करियर शुरू करने वाली एक्ट्रेस) ने खुलकर अपनी इस अवस्था के बारे में दुनिया को बताया है।

अभिनेत्री शहनाज़ ट्रेज़रिवाला ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए बताया कि उन्हे प्रोसोपैग्नोसिया 2 है। वे अब समझ पा रही हैं कि वो दूसरे चेहरे क्यों नहीं पहचान पाती। यह एक विकार है। अभिनेत्री शहनाज़ ने बताया की मुझे हमेशा शर्म आती थी कि मैं चेहरे पहचान नहीं पाती। इन्होंने बताया कि इसे फेस ब्लाइंडनेस (Face Blindness) भी कहा जाता है।

फेस ब्लाइंडनेस ‘प्रोसोपैग्नोसिया’ के स्टेज | Stages of Face Blindness ‘Prosopagnosia’

  1. सरल (Mild Prosopagnosia):
    • इस स्टेज में व्यक्ति को चेहरों की पहचान में कुछ कठिनाई होती है लेकिन वह अधिकांश चेहरों को पहचान सकता है।
    • व्यक्ति कई परिचितों के चेहरे को अच्छी तरह से पहचान सकता है लेकिन अज्ञात लोगों के चेहरे के साथ समस्या हो सकती है।
  2. मध्यम (Moderate Prosopagnosia):
    • इस स्टेज में, व्यक्ति की चेहरे पहचानने की क्षमता में और अधिक कठिनाइयाँ हो सकती हैं।
    • व्यक्ति कई परिचितों के चेहरे को संख्या के आधार पर पहचान सकता है, लेकिन चेहरों की व्यक्तिगत विशिष्टताओं (जैसे को पहचानने में मुश्किल हो सकती है।
  3. गंभीर (Severe Prosopagnosia):
    • इस स्टेज में, व्यक्ति को चेहरे को पहचानने में बहुत ज्यादा कठिनाइयाँ होती हैं।
    • व्यक्ति अक्सर किसी को भी उनके चेहरे से पहचान नहीं पाता है चाहे वो परिचित हों या नये लोग हों।

फेस ब्लाइंडनेस ‘प्रोसोपैग्नोसिया’ के लक्षण | Symptoms of Face Blindness ‘Prosopagnosia’

  1. चेहरों की पहचान में कठिनाई: व्यक्ति को चेहरों को पहचानने में मुश्किल होती है जो इस समस्या का मुख्य लक्षण है।
  2. चेहरों की विशिष्टताओं की कमी: व्यक्ति चेहरों की विशिष्टताओं को पहचानने में कठिनाई महसूस करता है जैसे आंखों की स्थिति, होठों की आकृति, नाक आदि।
  3. परिचित लोगों के चेहरों को नहीं पहचान पाना: व्यक्ति किसी परिचित व्यक्ति के चेहरे को भी नहीं पहचान पाता, जिससे उनके सामाजिक संबंधों में कठिनाई होती है।
  4. चेहरे के बारे में स्मृति की कमी: व्यक्ति को विभिन्न चेहरों को देखकर उन्हें याद रखने में समस्या हो सकती है जो इस समस्या का एक और महत्वपूर्ण लक्षण है।
  5. अजनबी लोगों की पहचान में समस्या: व्यक्ति को अजनबी लोगों को चेहरे से पहचानने में भी कठिनाई हो सकती है जो उनके दैनिक जीवन में परेशानी पैदा कर सकता है।
  6. अनजान चेहरों के बीच फ़र्क़ नहीं समझ पाना: व्यक्ति को अजनबी या अनजान लोगों को चेहरों के बीच अंतर नहीं पता लगा पाते।
  7. असमर्थन किस्म की चेहरे से पहचान: व्यक्ति विशेष के चेहरे को पहचानने में समस्या हो सकती है जैसे आदमी और महिला या विभिन्न जातियों के बीच भिन्नताओं को समझने में कठिनाई।
  8. व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों में कठिनाई: प्रोसोपैग्नोसिया से प्रभावित होने से व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों में कमजोरी हो सकती है और इससे संबंधित संदेह और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  9. समाज में अनुभव करने वाली अलगाव: यह समस्या व्यक्ति को समाज में अलगाव महसूस करने के लिए विवश कर सकती है क्योंकि वह अजनबी चेहरों को पहचानने में असमर्थ होता है।
  10. रोज़मर्रा की समस्याएं: इन लक्षणों के कारण, व्यक्ति को रोज़मर्रा की जीवन में विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं, जो उनके दिनचर्या और संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं।

इसके अलावा ऐसे लोग किसी सामाजिक व्यक्ति जैसे कोई लोकल नेता, समाज सेवी, पंडित या कथा वाचक अथवा कोई अभिनेता या अभिनेत्री आदि के चेहरे को याद नहीं रख पाते। वहीं वैसे ही फेस ब्लाइंडनेस से पीड़ित व्यक्ति किसी कथा कहानी को भी याद रखने मे असमर्थ रहता है।

गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय

फेस ब्लाइंडनेस ‘प्रोसोपैग्नोसिया’ मे क्या करें | What to do in Face Blindness ‘Prosopagnosia’

फेस ब्लाइंडनेस या प्रोसोपैग्नोसिया से निपटने के लिए सबसे पहले आत्म-संज्ञान बढ़ाना जरूरी है। आपको अपने विवशता को स्वीकार करने और समझने की कोशिश करनी चाहिए। व्यायाम और प्रैक्टिस से चेहरों की विशेषताओं का मनन करें और चेहरों की अद्यतन रखने के लिए कठिनाइयों का सामना करें।

समर्थन समूहों और मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स की मदद लें, जो आपको अपनी स्थिति के प्रति जागरूक बना सकते हैं और आपको विशेष तकनीकें सिखा सकते हैं। इन सभी उपायों से, आप अपनी जीवन में फेस ब्लाइंडनेस के साथ सकारात्मक और संबंधों में सुधार कर सकते हैं।

डॉ रूपाली शिवलकर का सुझाव निम्न हैं:

  • लोगों को मिलते समय या पहले अपने इस कंडीशन के बारे में बताएं।
  • अपने साथ के लोगों से कहें कि वो आपकी पहचान उन लोगों से करवाएं।
  • जब आप किसी से मिलें तो उस व्यक्ति उसकी पहचान बताने के लिए कहें।
  • लोगों को उनकी आवाज़, उनकी बॉडी लैंग्वेज से पहचानें की कोशिश करें।

FAQs सामान्य प्रश्नों के उत्तर

Q1. प्रोसोपैग्नोसिया क्या है?

प्रोसोपैग्नोसिया एक विशिष्ट प्रकार की समस्या है जिसमें व्यक्ति को चेहरे पहचानने में कठिनाई होती है। प्रोसोपैग्नोसिया एक स्थिति है जिसमें व्यक्ति किसी के चेहरे को पहचानने में मुश्किल होती है और यह चेहरों की पहचान क्षमता को प्रभावित करता है। इसे फेस ब्लाइंडनेस भी कहते हैं।

Q2. प्रोसोपैग्नोसिया का कारण क्या होता है?

प्रोसोपैग्नोसिया या फेस ब्लाइंडनेस होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे दिमाग़ी चोट, जन्म से या आनुवांशिक अथवा अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएं।

Q3. प्रोसोपैग्नोसिया के क्या लक्षण होते हैं?

प्रोसोपैग्नोसिया के लक्षण में चेहरों की पहचान में कठिनाई, चेहरे की विशेषताओं की कमी, परिचित लोगों के चेहरों को पहचानने में समस्या और आंखों, मुख, नाक आदि के अंगों की पहचान में कठिनाई शामिल हो सकती है।

Q4. क्या प्रोसोपैग्नोसिया का इलाज संभव है?

इसका कोई मुख्य उपचार नहीं है लेकिन व्यक्ति विभिन्न तकनीकों, दिनचर्या में संशोधन करके, विशिष्ट तकनीकों का अभ्यास करके योग्यता प्रशिक्षण और समर्थन ग्रुप्स की मदद से चेहरों की पहचान में सुधार किया जा सकता है।

Q5. प्रोसोपैग्नोसिया किस उम्र में हो सकता है?

प्रोसोपैग्नोसिया किसी भी उम्र में हो सकता है। यह जन्म से हो सकता है या किसी दिमाग़ी चोट के बाद विकसित हो सकता है।

Leave a Comment