सत्यानाशी के फायदे जबरदस्त! जान कर हो जाएंगे हैरान

प्रकृति ने मानव कल्याण के लिए अनगिनत वरदान दिये हैं इसी मे से एक सत्यनाशी का पौधा है। सत्यानाशी का पौधा दिखने में खूबसूरत होता है, इसके औषधीय गुण भी काफी है। इसका सिर्फ नाम ही सत्यानाशी नहीं है यह एक जड़ी बूटी वाला पौधा है जो बहुत सी बीमारियों का नाश कर देता है। यह पौधा आपको सड़क के किनारे बंजर पड़ी जमीन पर या खेतों में आसानी से मिल जाएगा। इसकी पत्तियों और फल पर बहुत ही तीखे कांटे होते हैं। सत्यनाशी एक औषधिये पौधा है जिसके कारण सत्यानाशी के फायदे अनेक हैं। तो आइये इसे हम विस्तार से जानते है…..!

सत्यानाशी के फायदे

सत्यनाशी दो प्रकार का होता है। एक किस्म जिसमें सफेद रंग का फूल आता है दूसरा जिसमें पीले रंग का फूल आता है। ज्यादातर पीले रंग के फूल वाले प्लांट आसानी से देखने को मिलता है फूल के बाद फल बनना स्टार्ट होता है और उसी फल के अंदर बीज बन जाते हैं। फल जब सूख जाता है तो अपने आप फटने लगता है और उसकी जो कली है वह खिल जाती है अगर आप ऊपर से झांक कर देखेंगे तो आपको जो बीज है अंदर ऐसे रखे हुए दिखेंगे जैसे किसी ने उसके अंदर डाल रखे हो।

सत्यनाशी के बीज गोल-गोल होते हैं जो  हवा चलने के साथ-साथ इधर-उधर बिखर जाते हैं और दोबारा से जो नये पौधे उगते रहते हैं। इसलिए जहां पर आप यह प्लांट देखेंगे उसके आसपास और भी नये प्लांट आसानी से देखने को मिल जाएंगे।

सत्यनाशी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स एवं एंटी-माइक्रोबॉयल के गुण होते हैं जो कब्ज, लीवर की समस्या, भूखार जैसी बीमारियों में काफी लाभदायक होते हैं। हम विस्तार से जानेंगे कि इस पौधे से हमें क्या क्या बेनिफिट होते हैं और कौन-कौन सी बीमारी है जो इससे दूर किये जा सकते है। उससे पहले मैं आपको इसके कुछ और नाम बता देता हूं जो अलग अलग भाषाओं में अलग अलग नाम से जाने जाते हैं। जैसे :

  • हिंदी में सत्यानाशी, उजर कांटा, सियाल कांटा
  • अंग्रेजी में प्रिकली पॉपी, (Prickly Poppy), मैक्सिकन पॉपी (Mexican Poppy), Yellow Thistle (येलो थिसल)
  • संस्कृत में कटुपर्णी
  • उड़िया में कांटा–कुशम (Kanta Kusham)
  • उर्दू में बरमदंडी (Baramdandi)
  • कन्नड़ में अरसिन-उन्मत्ता (Arasina Unmatta)
  • गुजराती में दारूडी (Darudi)
  • तमिल में पोन्नुम्मटाई (Ponnummattai), कुडियोट्टि (Kudiyotti), कुरुक्कुमचेडि (Kurukkum Chedi)
  • तेलगु में पिची कुसामा चेट्टु (Pichy Kusama Chettu)
  • बंगाली में स्वर्णक्षीरी (Swarnakhiri), शियाल कांटा (Shial Kanta), बड़ो सियाल कांटा (Baro Shialkanta)
  • नेपाली में सत्यानाशी (Satyanashi)
  • पंजाबी में कण्डियारी (Kandiari), स्यालकांटा (Sialkanta), भटमिल (Bhatmil), सत्यनाशा (Satyanasa), भेरबण्ड (Bherband), भटकटेता (bhatkateta), भटकटैया (Bhatkateya)
  • महती में कांटेधोत्रा (Kantedhotra), दारुरी (Daruri), फिरंगिधोत्रा (Firangidhotra)
  • मलयालम पोन्नुम्मत्तुम् (Ponnunmattum) और
  • अरबिक में बागेल (Bagel) के नाम से जाना जाता है।

कमेंट करके आप अपने एरिया का नाम और आपके यहां यह किस नाम से बुलाया जाता है जरूर बतायें, इससे हमें ख़ुशी मिलेगी और प्रोत्साहना भी।

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सत्यानाशी के फायदे – Benefits of Satyanashi

अब  बात करते हैं इससे हमें क्या फायदा होता है और कौन-कौन से रोग में इसे किस तरह से लिया जा सकता है।

1. पीलिया रोग में: पीलिया रोग एक बहुत ही खतरनाक रोग है जिसमें शरीर पीला पड़ जाता है, शरीर में कमजोरी आ जाती है और बुखार आ जाता है। ऐसी बीमारी को सत्यानाशी के तेल को अगर गिलोय के रस में मिलाकर उसका सेवन किया जाए तो पीलिया जैसे रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

2. डायबिटीज में: मधुमेह की बीमारी है जो आजकल बहुत तेजी से बढ़ रही है आपके आसपास भी कुछ लोग ऐसे मिलेंगे जिनको डायबिटीज होगी और इससे बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय भी करते हैं, दवाइयां भी खाते हैं लेकिन डायबिटीज से निजात नहीं मिल पाता है। क्या जानते हैं पीले फूल वाली सत्यानाशी डायबिटीज के मरीज के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। इसके पत्तों से निकाला गया रस ब्लड शूगर में काफी फायदेमंद होता है।

3. अस्थमा रोग में: सांस लेने की समस्या हो या खांसी हो सत्यानाशी ऐसे बीमारियों के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसकी जड़ को उबालकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से खांसी और फेफड़ों में जमा कफ साफ हो जाता है और साँस की परेशानी दूर हो जाती है।

4. पेट में पानी भरने की समस्या में: अगर पेट के अंदर पानी भरने की समस्या है, पेट फूल जाता है या पेट में सूजन आ जाता है। और जब आपका डॉक्टर कहते हैं कि पेट के अंदर पानी भर गया है ऐसा इसलिए होता कि दूषित पानी पेट के अंदर जमा हो जाता है जिसकी वजह से पेट फूल जाता है। ऐसी स्थिति में सत्यनाशी बहुत लाभदायक होता है। इस रोग में सत्यनाशी के दूध को घी में मिलाकर लेने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।

5. आंखों के लिए: आंखों की बीमारी में भी सत्यानाशी काफी फायदेमंद होता है। आप सत्यनाशी के अर्क को गुलाब जल में मिलाकर एक दो बूंद आंखों में डाल सकते हैं जिससे सूखापन, ग्लूकोमा जैसी बीमारियां दूर होती हैं। साथ ही आप इसका काजल बना सकते हैं। काजल बनाने के लिए इसके दूध में रुई को भिगो दीजिये और फिर उसको अच्छे से सूखा लीजिए और उसी की बाती बनाकर गाय के घी में उसका दीप जलाकर उसकी काजल तैयार कर लीजिये।

काजल कैसे तैयार होता है अगर आपको नहीं पता है तो मैं बताता हूं। काजल बनाने के लिए एक घी का दीपक जला लीजिये और उसके ऊपर से एक खाली दीपक से ढक दीजिये। अब दीपक बुझने तक उसे छोड़ दीजिये। जब दीपक बूझ जाये और ठण्डा हो जाये तो आप देखेंगे की ऊपर रखे दीपक में काजल बन चूका है जिसका उपयोग आप कर सकते है।

6. यूरिन की समस्या में: सत्यानाशी पौधे का रस में मूत्रवर्धक गुण होते हैं। जब आप इसके रस का सेवन करते हैं तो यूरिन काफी खुलकर आता है जिससे कि आपको  बाथरूम करने में कोई प्रॉब्लम होता है, जलन या दर्द होता है तो ऐसी समस्या दूर हो जाता है।

7. त्वचा रोग में: सत्यानाशी सोरायसिस जैसी खतरनाक बीमारियों को भी खत्म कर देता है इसके लिए आपको ताजा सत्यानाशी को कूटकर उसका रस निकाल लेना है और इस रस के एक भाग और आधा भाग सरसों का तेल लेकर इसमें इसके रस को अच्छे से पका लें यानी अगर आपने 100 मिली  रस  लिया है तो उसमें 50 मिली सरसों का तेल मिलाकर उसको अच्छे से पका लें। उसको ठंडा करके स्टोर कर लें। आप इसका इस्तेमाल सोरायसिस, खाज खुजली, दाद जैसी बीमारियों में इसका उपयोग कर सकते हैं इससे बहुत ही ज्यादा फायदा होगा।

8. कुष्ठ रोग में: सत्यानाशी के प्रयोग से कुष्ठ रोग और रक्तपित्त (नाक-कान अंगों से खून बहने की समस्या) में सत्यानाशी के बीजों के तेल से शरीर पर मालिश करने से रोग ठीक हो जाता है। इसके साथ ही 5-10 मिली पत्ते के रस में 250 मिली दूध मिलाकर सुबह और शाम पिलाने से भी बहुत लाभ होता है।

सत्यानाशी से नुकसान – Side Effect of Satyanashi

विभिन्न औषधियों की तरह सत्यानाशी के भी कुछ नुकसान हो सकते हैं यदि इसका उपयोग बिना जानकारी या सावधानी पूर्वक नहीं किया जाए।

  • इसको तोड़ते या काटते समय इसके तीखे काँटों से सावधान रहना चाहिए। इसके कांटे बहुत तीखे होते हैं जो हाथ या किसी भी अंग मे बहुत ही जल्दी चुभ जाते हैं।
  • सत्यनाशी का बीज विषैला होता है। इसलिए इसके बीज को शरीर के बाहरी हिस्से मे ही करना चाहिए।
  • इसके बीज के साथ सरसों का तेल कभी भी नहीं मिलाना चाहिए। यह बहुत विषैला हो जाता है जो मौत का कारण भी बन सकता है।

दोस्तों सत्यनाशी के इतने लाभ हैं लेकिन अधिकतर लोग इसके बारे मे नहीं जानते। यदि इसके बारे मे जानकारी प्राप्त कर ठीक ढंग से उपयोग किया जाए तो इसका पूर्ण लाभ उठा सकते हैं। 

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