थायराइड में कहां-कहां दर्द होता है | थायराइड के लक्षण और उपचार

जब गर्दन में स्थित थायराइड ग्रंथि द्वारा आवश्यकता से अधिक या कम हारमोन्स का निर्माण होता है तो इस स्थिति को थायराइड समस्या कहा जाता है। यह समस्या मुख्यत: महिलाओं में देखी जाती है, हालांकि इसका पुरुषों पर भी प्रभाव हो सकता है। हम थायराइड में कहां-कहां दर्द होता है और थायराइड के लक्षण और उपचार क्या हैं इसके बारे मे जानेगें।

जब इस ग्रंथि से कम हारमोन्स बनते हैं तो इसे हायपोथायरायडिस्म कहा जाता है। वहीं जब इस ग्रंथि से अधिक हारमोन्स उत्पन्न होते हैं, तो इसे हाईपरथायराडिस्म कहा जाता है। इस ग्रंथि से दो महत्वपूर्ण हारमोन्स रिलीज होते हैं, जिन्हें मेडिकल भाषा में T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन) और T4 (थायरोक्सिन) हारमोन्स कहा जाता है। थायरोइड को 0.4 mU/L से 4.0 तक सामान्य माना जाता है।

थायराइड में कहां-कहां दर्द होता है
थायराइड ग्रन्थि

शरीर के समग्र विकास में थायरोइड ग्रंथि का महत्वपूर्ण योगदान है। इस ग्रंथि के माध्यम से निकले हारमोंस जैसे कि थायरॉक्सीन और ट्रायडोथायरोनिन जैसे अहम हारमोंस को नियंत्रित किया जाता है। ये हारमोंस हड्डियों, मांसपेशियों, कोलेस्ट्रॉल, ह्रदय की क्रिया और शरीर की ऊर्जा निर्माण में सीधा प्रभाव डालते हैं। जब थायरोइड ग्रंथि सही रूप से कार्य नहीं करती है तो इसे थायरोइड रोग के रूप में जाना जाता है। यदि शरीर की मेटाबोलिज्मअधिक होती है तो व्यक्ति कमजोरी महसूस करता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि थायराइड के लक्षण क्या होते हैं और कहां-कहां दर्द होता है।

थायराइड के लक्षण और उपचार | Thyroid symptoms and treatment

जैसा कि हमने जाना, थायराइड एक छोटी ग्रंथि है जो गर्दन में स्थित होती है और शरीर के स्वास्थ्य को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब यह ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती, तो वजन, ऊर्जा के स्तर में परिवर्तन और अन्य लक्षण पैदा हो सकते हैं। थायराइड हार्मोन रक्तचाप, तापमान, हृदय गति, चयापचय और अन्य हार्मोनों की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है। इसके संतुलन में अस्तव्यस्तता से स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। थायराइड विकार का उपचार आमतौर पर दवाइयों, जीवन शैली परिवर्तनों और कभी-कभी सर्जरी के माध्यम से किया जाता है।

थायराइड के लक्षण | Thyroid symptoms

थायराइड के लक्षण व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव को सूचित कर सकते हैं। यहाँ थायराइड रोग के सामान्य लक्षण हैं:

  1. ऊबंन और थकान: व्यक्ति को अधिक ऊबन महसूस होने लगता है और उसे थकान महसूस हो सकती है भले ही वह पूरी रात अच्छी तरह सो रहा हो।
  2. वजन में परिवर्तन: थायराइड के रोगी व्यक्ति को अचानक से वजन घटाने या बढ़ाने की समस्या हो सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, थायराइड हार्मोन शरीर में वजन, भोजन का सेवन, वसा और चीनी के चयापचय को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जिन व्यक्तियों में थायराइड हार्मोन कम होता है उन्हें वजन बढ़ने और बॉडी मास इंडेक्स में वृद्धि का अनुभव हो सकता है। यदि आप में हाइपोथारायडिज्म के गंभीर लक्षण नहीं हैं तो भी आप वजन बढ़ने और मोटापे जैसे लक्षणों का सामना कर सकते हैं। इसमें आपका चेहरा फूला हुआ, पेट और शरीर में अधिक वजन दिख सकता है।
  3. मूड और यादाश्त में परिवर्तन: कई बार हाइपोथारायडिज्म के लक्षणों में मूड और यादाशत की कमी हो सकती है। थायराइड से प्रभावित व्यक्ति में उत्साह, डिप्रेशन, किसी भी काम में मन न लगना और यादाशत की कमी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, यह इसलिए हो सकता है क्योंकि हमारे ब्रेन को सही ढंग से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन की आवश्यकता है। कई शोधों में यह सामने आया है कि थायराइड हार्मोन की कमी ब्रेन के फंक्शन को प्रभावित कर सकती है।
  4. दिल की धड़कन में अनियमितता: थायराइड के कारण हृदय की धड़कन में अनियमितता हो सकती है, जिससे व्यक्ति अहसास कर सकता है।
  5. बालों का झड़ना: थायराइड के रोगी व्यक्ति को बालों का अच्छे से झड़ना या रूखापन का सामना करना पड़ सकता है।
  6. चमकीली त्वचा: अधिक थायरॉक्सीन के कारण त्वचा चमकीली और गीली हो सकती है।
  7. मूड स्विंग्स: थायराइड के असंतुलन से मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन हो सकता है।
  8. मासिक धर्म की समस्याएं: महिलाओं में, थायराइड समस्या के कारण मासिक धर्म की समस्याएं जैसे कि अनियमित पीरियड्स या अधिक ब्लीडिंग हो सकती हैं।
  9. स्तनपान समस्याएं: महिलाओं में थायराइड के रोग के कारण स्तनपान समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि स्तनों में दर्द या सूजन।
  10. कमजोरी और दर्द: थायराइड के कारण शरीर में कमजोरी और दर्द हो सकता है। इससे आपके जोड़ो में दर्द, अकड़न, ऐंठन, सूजन और कमजोरी की समस्या हो सकती है।
  11. गले में सूजन: थायराइड के रोगी व्यक्ति को गले में सूजन और गले में दर्द की समस्या हो सकती है।
  12. सिरदर्द: थायराइड के रोगी को सिरदर्द की समस्या हो सकती है जो कुछ परिस्थितियों के अनुसार बदल सकती है।
  13. कोलेस्ट्रॉल का बढ़ंना: थायराइड हार्मोन लीवर के माध्यम से शरीर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को बाहर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि हार्मोन के स्तर में कमी होती है तो लीवर इस कार्य को पूरा करने में कठिनाई महसूस करता है जिससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।

यदि आपको इन लक्षणों में से कुछ भी महसूस होता है, तो आपको एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर आपकी जाँच करेंगे और सही उपचार का सुझाव देंगे।

थायराइड के प्रकार | Types of thyroid

थायराइड एक ग्रंथि है जो शरीर में थायराइड हार्मोन्स उत्पन्न करती है और उन्हें नियंत्रित करके शारीरिक कार्यों को संतुलित रखती है। थायराइड विकारों के कई प्रकार हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म शामिल हैं।

  1. हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism):
    • इसमें थायराइड ग्रंथि कम से कम हार्मोन्स [थायरॉक्सीन (टी3) और थायरॉक्सीन (टी4)] उत्पन्न करती है, जिससे शारीरिक क्रियाएं धीमी हो जाती हैं।
    • सामान्यत: इसके कारणों में असमर्थन, ग्रंथि के अंदरीय रोग, या शरीर की सुरक्षा प्रणाली के खिलाफ हो सकता है।
    • इसके सामान्य लक्षण में ठंडक, थकान, वजन में वृद्धि, मूड स्विंग्स, और त्वचा में सुष्ठता शामिल हो सकती है।
  2. हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism):
    • इसमें थायराइड ग्रंथि अधिक हार्मोन्स उत्पन्न करती है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है और शारीरिक क्रियाएं तेज हो जाती हैं।
    • कारणों में ग्रंथि के अंदरीय रोग, ग्रंथि के उत्तेजन, या आत्म-उत्तेजन शामिल हो सकता है।
    • इसमें अत्यधिक गरमी, धातुओं की नुकसान, थकान, वजन में कमी, दिल की धड़कन बढ़ना, और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
  3. थायरॉयडिटिस (Thyroiditis):
    • यह थायरॉयड ग्रंथि की सूजन के कारण होने वाला रोग है। इसमें ग्रंथि क्षेत्र में दर्द, सूजन, त्वचा में गरमी और अत्यधिक थकान का अनुभव हो सकता है।
  4. थायराइड ग्रंथि के कैंसर (Thyroid Cancer):
    • यह एक अत्यधिक गंभीर स्थिति है जो थायराइड ग्रंथि के कोशिकाओं में बदलाव के कारण हो सकती है।
    • इसमें गले में गांठ, गले में दर्द, स्वर बदलना, और स्वार्थिक गांठ का उत्तेजन शामिल हो सकता है।
  5. थायरॉइड नोड्स (Thyroid Nodes):
    • थायरॉइड नोड्स या थायरॉइड ग्रंथि की गांठें छोटी से लेकर बड़ी तक की हो सकती हैं।
    • इन्हें यदि व्यक्ति के गले में देखा जाता है।
    • यह एक थायरॉइड स्कैन या उत्तेजन के माध्यम से पहचानी जा सकती हैं। यह नोड्स अक्सर सामान्यत: बेनाइन होती हैं लेकिन कुछ मामलों में वे कैंसर से जुड़ी हो सकती हैं।

थायराइड होने का कारण | Cause of thyroid

यह विभिन्न कारणों के कारण व्यक्तियों को थायराइड समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

  1. पारिवारिक इतिहास: थायराइड समस्याओं का परिवार में वारिस्तगारी के कारण होना संभावना है। यदि किसी के परिवार में पहले से ही थायराइड समस्या है, तो उसके अन्य सदस्यों का भी इससे प्रभावित होने का जोखिम बढ़ सकता है।
  2. उम्र: वृद्धावस्था में, विशेष रूप से महिलाओं में, थायराइड समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। उम्र बढ़ने के साथ, थायराइड के विकारों का संभावना बढ़ता है।
  3. महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन: महिलाओं में गर्भावस्था, प्रजनन वर्ष और मेनोपॉज के समय हार्मोनल परिवर्तन होता है जो थायराइड समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकता है।
  4. आहार और पोषण की कमियां: अच्छे पोषण की कमी और पौष्टिक आहार की अभाव से थायराइड समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह विभिन्न पोषक तत्वों की कमी से हो सकता है जैसे कि विटामिन D, आयोडीन, सेलेनियम, जिंक आदि।
  5. पर्यावरणीय कारक: रेडियेशन, प्रदूषण, निकोटीन और केमिकल्स जैसे पर्यावरणीय कारक भी थायराइड समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

इन जोखिम कारकों का प्रभाव व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह ली जाए। विशेषकर, थायराइड समस्याओं के लिए नाइट्रीशनिस्ट, एंडोक्रिनॉलॉजिस्ट या इन्टरनल मेडिसिन डॉक्टर से परामर्श करना सही हो सकता है।

थायराइड का उपचार | Thyroid treatment

  1. दवाएं: थायराइड के उपचार के लिए डॉक्टर द्वारा प्रदान की जानेवाली दवाएं, विशेषकर थायरॉक्सीन या थायरॉइड हार्मोन्स की दवाएं, थायराइड को संतुलित करने में मदद करती हैं।
  2. आहार: स्वस्थ आहार थायराइड के उपचार में मदद करता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक तत्वों, विटामिन्स और मिनरल्स को शामिल करें।
  3. योग और व्यायाम: नियमित रूप से योग और व्यायाम करना, खासकर शिर्षासन और सर्वांगासन, थायराइड की समस्या में सहायक हो सकता है।
  4. आयुर्वेदिक औषधियां: कुछ आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन भी थायराइड के उपचार में किया जा सकता है लेकिन इस पर डॉक्टर की सलाह लेना उचित है।
  5. शल्यचिकित्सा: गंदगी भरे थायराइड ग्रंथि को हटाने के लिए शल्यचिकित्सा का सहारा लिया जा सकता है जैसे कि थायराइड की क्षार सर्जरी।
  6. आपातकालीन उपचार: थायराइड के आपातकालीन स्थितियों में, जैसे कि थायराइड स्टॉर्म, उचित और त्वरित उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
  7. नियमित जाँच: थायराइड रोग के उपचार में नियमित जाँच बहुत महत्वपूर्ण है। डॉक्टर द्वारा सुझाए गए तरीकों का पालन करते रहना आवश्यक है और नियमित अनुसंधान से रोग की स्थिति का मूल्यांकन हो सकता है।
  8. विशेषज्ञ की सलाह: किसी भी समस्या में, विशेषज्ञ की सलाह और मार्गदर्शन अच्छे उपचार की गारंटी प्रदान करता है।

थायराइड के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति डॉक्टर की सलाह पर चलें और नियमित तौर पर आवश्यक जाँच और परीक्षण कराएं। चिकित्सक के परामर्श और उनके निर्देशों का पालन करना थायराइड के उपचार में महत्वपूर्ण होता है। अपने डॉक्टर से बातचीत करें और उनकी सलाह का पालन करें।

थायराइड में कहां-कहां दर्द होता है | Where does pain occur in thyroid?

थायराइड समस्या के दर्द संबंधित विवरण:

  1. सारे शरीर का दर्द: थायरोइड समस्या के कारण, व्यक्ति के शरीर के विभिन्न भागों में दर्द हो सकता हैं।
  2. हड्डियों के जोड़ों में दर्द: थायराइड से उत्पन्न अशांति के कारण, हड्डियों के जोड़ों में दर्द अधिक हो सकता हैं।
  3. कैल्शियम की कमी: थायरोइड के मरीजों में कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों में दर्द हो सकता हैं।
  4. मांशपेशियों में दर्द: थायरोइड समस्या से प्रभावित होने पर, मांशपेशियों में भी दर्द हो सकता हैं।
  5. मासिक धर्म संबंधित समस्याएं: मासिक धर्म के दौरान बढ़ी हुई ब्लीडिंग और दर्द का अनुभव हो सकता हैं।
  6. बढ़ी हुई थायरोइड ग्रंथि में दर्द: कुछ मामलों में, बढ़े हुए थायरोइड ग्रंथि में भी दर्द हो सकता हैं।

यह सभी लक्षण थायराइड समस्या के प्रमुख पहचान के लिए हो सकते हैं।

थायराइड का घरेलू उपचार | Home remedies for thyroid

थायरोइड समस्या का इलाज घरेलू उपचारों के जरिए किया जा सकता है। थायरोइड रोगी को विशेष रूप से आहार पर ध्यान देना चाहिए। हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं और खाने में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन्स से भरपूर आहार लें। हरी सब्जियां शरीर की आयरन की कमी को दूर करने में मदद करती हैं और मिनरल्स और विटामिन्स को संतुलित रखने में सहायक होती हैं। दूध, दही, मुलेठी, गेहूं, और बादाम का सेवन भी फायदेमंद है। ध्यान रखें कि ज्यादा तेल और मसाले वाले खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि ये थायरोइड समस्या को बढ़ा सकते हैं।

  1. अश्वगंधा पाउडर: थायरोइड समस्या को नियंत्रित करने के लिए अश्वगंधा पाउडर उपयोगी हो सकता है। रोजाना इस पौधे की जड़ों को उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से थायरोइड ग्रंथि को सामान्य किया जा सकता है। इसके पाउडर को दूध के साथ मिलाकर पीना भी लाभकारी है, क्योंकि यह हॉर्मोन्स के उत्पादन को संतुलित कर सकता है।
  2. तुलसी और एलोवेरा मिश्रण: तुलसी और एलोवेरा का मिश्रण भी थायरोइड रोग में सहायक हो सकता है। इसका नियमित सेवन बिना किसी साइड इफेक्ट्स के हो सकता है। प्रतिदिन सुबह-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से थायरोइड में आराम मिल सकता है। एलोवेरा के पत्ते को तोड़कर उसमें तुलसी के पत्ते मिलाएं और रोज़ाना 1 चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें।
  3. अलसी: अलसी एक प्रभावी औषधि है जो थायरोइड समस्या में मदद कर सकती है। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड थायरोइड ग्रंथि से निर्मित होने वाले हॉर्मोन्स को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। रोजाना सुबह-सुबह अलसी के पाउडर को खाने से थायरोइड में सुधार देखा जा सकता है।

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