अहोई व्रत का त्यौहार कार्तिक मास से कृष्णपक्ष के आठवें दिन अष्टमी तिथि को मनाया जाता है जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर माह में आता है। इस बार अहोई अष्टमी 2023 05 नवंबर दिन रविवार को है।
भारत व्रत एवं त्यौहारों का देश है। यहाँ प्रतिदिन कोई ना कोई व्रत या त्यौहार होता ही है। अहोई अष्टमी भी इसी मे से एक है। अहोई अष्टमी व्रत भी पूरे भारत मे व्यापक रूप से मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपने संतान के सुरक्षा एवं सलामती के लिए यह व्रत बहुत ही श्रद्धा भाव से रखती हैं और माता अहोई (पार्वती) से प्रार्थना करती हैं कि उनके संतान का हर कष्ट व बाधा दूर करें और आशीर्वाद लेती हैं।
अहोई अष्टमी पर राधा कुंड मे करें स्नान – Take bath in Radha Kund on Ahoi Ashtami
द्वापरयुग से चली आ रही परंपरा है कि अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड मे स्नान करना चाहिए। यह राधा कुंड मथुरा नागरी से लगभग 26 किलोमीटर दूर गोवर्धन के परिक्रमा के दौरान पड़ता है। इस कुंड मे नहाने की यह मान्यता है कि यदि कोई निःसंतान दम्पति (पति-पत्नी) श्रद्धा भाव से अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत रखते हुए इस कुंड मे नहाता है तो राधा रानी विशेष कृपा करती हैं जिससे उन्हे जल्द ही संतान प्राप्ति होती है और आँगन किलकारियों से गूंज उठता है।
यहाँ पर अहोई अष्टमी के दिन शाही स्नान का आयोजन किया जाता है। जिसमे बहुत श्रद्धालु अपनी अपनी कमाना लेकर यहाँ आते हैं और स्नान कर राधा रानी की कृपा प्राप्त करते हैं।
इस राधा कुंड की स्थापना द्वापरयुग मे कार्तिक मास के कृष्णपक्ष के आठवें दिन अष्टमी को हुई थी। इस दिन भगवान कृष्ण आधी रात 12 बजे इस कुंड मे स्नान किये थे। इसलिए उसी दिन से कार्तिक मास के कृष्णपक्ष के अष्टमी तिथि को मध्य रात्री मे इसमे स्नान करने का विशेष फल बताया गया है। इस अष्टमी तिथि को देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहाँ स्नान करने आते हैं और यहाँ कुंड के तट पर स्थित माता अहोई मदिर मे पूजा-अर्चना करते है और दीप दान भी करते है।
अहोई अष्टमी पर गणेश जी का पूजा है महत्वपूर्ण – Worship of Lord Ganesha is important on Ahoi Ashtami.
इस दिन अहोई माता के पूजा करने से पहले गणेश जी का पूजा करना महत्वपूर्ण होता है। गणेश जी की पूजा मे दूर्वा और मोतीचूर के लड्डू अर्पित करना चाहिए। इसके बाद माता अहोई का पूजा करना चाहिए।
अहोई अष्टमी के दिन व्रतीयों के लिए सावधानियाँ – Precautions for those fasting on the day of Ahoi Ashtami
- इस दिन व्रत रखने वाली महिलायें स्नान करके काले अथवा नीले कपड़े ना पहनें। काले कपड़े वैसे भी पूजा अर्चना मे अशुभ माने जाते हैं।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन महिलायें मिट्टी की खुदाई ना करें।
- अर्घ्य के लिए कांसे का वर्तन का उपयोग ना करें।
अहोई अष्टमी की पूजा विधि – Ahoi Ashtami Worship Method
- इस दिन व्रतीयों को चाहिए कि वो अपने घर के दीवार अथवा किसी कागज पर गेरू से माता अहोई के चित्र के साथ साथ सेई और उनके 7 पुत्रों संतानों का चित्र बनाएं।
- इसके आगे एक छोटी चौकी या नीचे ही चौक बनाकर एक सुंदर कलश रखें और इसे जल से भरकर इस पर रोरी से सुन्दर स्वास्तिक बनाएं।
- फिर गणेश जी की पूजा अपनी व्यवस्था के अनुसार करें।
- इसके बाद माता अहोई की पूजा रोरी-चावल से करें और मीठे पुए या आटे का बना हलवा का भोग लगाएं।
- अब माता अहोई से अपने कामना कहें और अपनी संतानों की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगे।
- भगवान गणेश और माता अहोई की पूजा अर्चना करने के बाद अपने हाथ मे 7 तरह के अनाज के दाने अथवा यदि उपलब्ध ना हो सके तो गेहूं के 7 दाने लेकर श्रद्धापूर्वक माता अहोई की कथा सुनें।
- कथा के बाद अंत मे चंद्रमा और तारों को अर्घ्य दें।
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अहोई अष्टमी की पूजा सामग्री – Ahoi Ashtami Puja Material
यूं तो भगवान भाव के भूखे होते हैं लेकिन यह भी ठीक नहीं है कि उनके दिये मे से कुछ भाग अपनी व्यवस्था और उप्लब्धता के अनुसार उनको अर्पित ना किया जाए। इसी प्रकार माता अहोई को भी अपनी व्यवस्था और उप्लब्धता के अनुसार सामग्री को जुटाना और माता को अर्पित करना चाहिए। माता की पूजा सामग्री मे मुख्यतः निम्न सामग्री शामिल किया जाना चाहिए। जैसे : माता अहोई की मूर्ति, फूल, कलश, जल, लाल माला, धूप-दीप, अक्षत, रोरी, श्रीफल, कलावा, लाल वस्त्र, शृंगार का सामान, सिंघाड़े, फल, मिष्ठान, खीर अथवा हलवा, पूरी-पुये आदि।
अहोई अष्टमी 2023 मुहूर्त – Ahoi Ashtami 2023 Muhurat
अहोई अष्टमी की पूजा का मुहूर्त: 5 नवंबर 2023 को दिन रविवार को शाम 05:33 बजे से शाम 06:52 बजे तक है।
तारों को देखने का समय: शाम 05:58 बजे।
चंद्रोदय का समय: मध्य रात्री 12:02 बजे।
संतान प्राप्ति के लिए माता अहोई का जाप मंत्र – Chanting mantra of Mata Ahoi for having a Child
अहोई अष्टमी से लेकर अगले 45 दिनों तक ‘ऊँ पार्वतीप्रियनंदनाय नमः’ मंत्र का 11 माला जाप करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है, माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है और माता आपकी मनोकामना पूरा कर आपको संतान सुख की प्राप्ति करवातीं हैं।
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