शेयर मार्केट से लाभ कमाने के कई विकल्प मौजूद हैं। कोई इन्वेस्टींग करके पैसा कयामत है, कोंई ट्रैडिंग करके। Investing और Trading करने के भी कई तरीके हैं इसी मे से एक ऑप्शन ट्रैडिंग (Option Trading) है जिससे लोग अच्छा लाभ कमाते हैं। ऑप्शन ट्रैडिंग मे बहुत अधिक रिस्क होता है यदि ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम (Option Trading Rules in Hindi) को बिना या बिना सीखे किया जाए। दुनिया का कोई भी ऐसा काम नहीं है जो बिना सीखे किया जाए और उसमे लाभ हो। बिना सीखे किये जाने पर हानि का ही सामना करना पड़ेगा चाहें जितना प्रयास कर लिया जाए।
बिना लिखे एक साधारण साइकिल या स्कूटर चलना भी खतरे से खाली नहीं है जबकि यदि सिख कर किया जाए तो हवाई जहाज और रॉकेट का भी शानदार उड़ान भरा जा सकता है। उसी प्रकार ऑप्शन ट्रैडिंग है यदि कोई व्यक्ति इसमे बिना सीखे व नियम जाने छलांग लगता है तो उसके 99.99% चांस असफल होने का ही होता है। तो आइये ऑप्शन ट्रैडिंग के नियम के बारे मे जानते हैं।
शेयर मार्केट कैसे काम करता है?
ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है | What is Option Trading
ऑप्शन ट्रेडिंग एक वित्तीय उपकरण है जिसमें निवेशक विभिन्न वित्तीय संस्थाओं के अनुमानों पर निवेश करते हैं ताकि वे अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें। इस वित्तीय उपकरण के माध्यम से निवेशक एक निश्चित समय के दौरान, निश्चित मूल्य पर, एक वित्तीय संस्था से, निश्चित मात्रा के एक प्रतिवेदन (अनुबन्ध/संविदा/कान्ट्रैक्ट/विकल्प (Options) या विकल्पांक (Derivatives)) को खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त करते हैं। यह एक उच्च रिस्क और रिवार्ड वाला वित्तीय उपकरण होता है जो निवेशकों को विभिन्न वित्तीय संस्थाओं के अनुमानों पर निवेश करने का अवसर प्रदान करता है।
Option एक Financial Agreement है जो एक निवेशक या व्यापारी को एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक, ETF, कमोडिटी, करेंसी या इन्डेक्स खरीदने या बेचने का विशेषाधिकार देता है।
माना कि एक व्यक्ति जिसका नाम कौशल है बिल्डिंग मटेरियल का बिजनेस करता है। उसे अनुमान है कि अगले कुछ महीनों मे सीमेंट का रेट बढ़ने वाला है तो वह अपने स्टाकिस्ट (जहां से सिमेन्ट खरीदता है) से बात करता है और दोनों मे एक समझौता (अनुबन्ध) होता है कि उसका स्टाकिस्ट 1000 बोरी सिमेन्ट अगले 2 महीने के लिए उसी रेट पर देगा जो रेट आज अभी चल रहा है। लेकिन इसके लिए कौशल से 10000 रुपए का एक छोटा रकम अभी जमा करवा लेता है।
आप कैसे कमा सकते हैं शेयर मार्केट से पैसा?
अब माना कि सीमेंट का आज रेट 500 रुपए प्रति बोरी है लेकिन अगले 10 दिन मे यह रेट 500 रु से 590 रु हो जाता है फिर भी कौशल को अगले 2 माह तक 1000 बोरी सीमेंट 500 रु प्रति बोरी के रेट पर ही मिलेगा, चाहें रेट 590 रु से भी अधिक हो जाए। लेकिन इस रेट बढ़ने से कौशल को अधिक फायदा होगा।
ऐसे ही ऑप्शन ट्रैडिंग मे ट्रैडर एक निश्चित राशि देकर (प्रीमियम प्राइस देकर) एक निश्चित संख्या (लॉट), एक निश्चित अवधि (एक्स्पायरी डेट तक) के लिए किसी कम्पनी का शेयर या इंडेक्स (निफ्टी/बैंक निफ्टी) खरीदता है या बेचता है। यह पूरी प्रक्रिया एक कान्ट्रैक्ट (अनुबन्ध) के तहत पूरा होता है क्योंकि इसमे हर पहलू पर निश्चितता है चाहें प्राइस हो, संख्या हो या अवधि। यह ट्रैडर को विशेष अधिकार देने का एक विकल्प (Option) है।
हाँ, इसमे बहुत सारे फैक्टर काम करते हैं। जिसे जानना एक ट्रैडर के लिए बहुत जरूरी है। जैसे: कॉल ऑप्शन (Call Option), पुट ऑप्शन (Put Option), प्राइस एक्शन, ATM, OTM, ITM, ओपन इंटेररेस्ट (OI), लॉंग, शॉर्ट, मार्केट मूवमेंट, मार्केट ट्रेंड्स आदि।
ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम | Option Trading Rule
ऑप्शन ट्रैडिंग के टर्मनोलोगी को जानें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में कुछ महत्वपूर्ण टर्म हैं जिन्हें समझना आवश्यक है:
- कॉल ऑप्शन (Call Option): कॉल ऑप्शन एक वित्तीय उपकरण है जिसे निवेशक उस समय खरीदते हैं जब उन्हें विश्वास होता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी।
- पुट ऑप्शन (Put Option): इसमें व्यक्ति एक निश्चित मूल्य पर निश्चित समय तक एक निश्चित संपत्ति को बेचने का अधिकार खरीदता है। यह उस समय खरीदते हैं जब उन्हें विश्वास होता है कि स्टॉक की कीमत घटेगी।
- स्ट्राइक प्राइस (Strike Price): यह वह मूल्य है जिस पर ऑप्शन अभी चल रहा है।
- प्रीमियम राशि (Premium Price): ऑप्शन को खरीदने के लिए भुगतान किया जाने वाला राशि।
- एक्सपायरी डेट (Expiration Date): ऑप्शन समय सीमा की अंतिम तारीख जिस पर ऑप्शन का अधिकार समाप्त हो जाता है।
- ट्रेडिंग लॉट (Trading Lot): यह वह मात्रा है जिसमें ऑप्शन के लिए व्यापार किया जा सकता है। निफ्टी मे एक लॉट 50 यूनिट का होता है जबकि बैंक निफ्टी मे 25 का।
- ऑप्शन चेन (Option Chain): ऑप्शन चेन एक तालिका है जो विभिन्न स्ट्राइक प्राइस और समय सीमाओं पर उपलब्ध ऑप्शन के विवरण को दर्शाता है।
- ओपन ईनटेरेस्ट (Open Interest): ऑप्शन चेन में “ओपन इंटरेस्ट” वह संख्या होता है जो एक निश्चित ऑप्शन के लिए उपलब्ध कान्ट्रैक्ट संख्या को दर्शाता है।
- आउट-ऑफ-दी-मनी (Out-of-the-money): “आउट-ऑफ-द-मनी” वह स्थिति है जिसमें ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस वास्तविक बाजार की कीमत से कम होता है।
- इन-दी-मनी (In-the-money): “In-the-money” वह श्रेणी है जिसमें ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस वास्तविक बाजार की कीमत से अधिक होता है।
- एट-दी-मनी (At-the-money): “At-the-money” वह श्रेणी है जिसमें ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस वास्तविक बाजार की कीमत के बराबर होता है।
- लॉग (Long): “लॉंग” एक तरह की ऑप्शन ट्रेडिंग है जिसमें व्यक्ति एक ऑप्शन को खरीदता है जिसमें उसे विश्वास होता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगा।
- शॉर्ट (Short): शॉर्ट एक तरह की ऑप्शन ट्रेडिंग है जिसमें व्यक्ति एक ऑप्शन को बेचता है जिसमें उसे विश्वास होता है कि स्टॉक की कीमत घटेगा।
- ग्रीक्स (Greeks): ऑप्शन ट्रेडिंग में “ग्रीक” एक वित्तीय पैरामीटर है जो विकल्प की कीमत के बदलाव को प्रतिस्पर्धा, समय और स्ट्राइक प्राइस की दृष्टि से मापता है।
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ऑप्शन का सिमुलेटेड या पेपर ट्रेडिंग करें:
ऑप्शन का पेपर ट्रेडिंग एक प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त करने का शानदार तरीका है जो नए ट्रेडर्स को ऑप्शन ट्रेडिंग की जटिलताओं को समझने और विश्लेषित करने में मदद करता है। इसमें ट्रेडर्स वास्तविक पैसे नही लगाते है। वर्चुअल पैसे से ऑप्शन बाजार मे ट्रैड करके बाजार के विभिन्न तत्वों को समझते हैं जैसे कि ऑप्शन की प्रकृति, स्ट्राइक प्राइस, निवेश की समयावधि और वॉलेटिलिटी आदि।
ऑप्शन का पेपर ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपको एक वित्तीय ब्रोकर के साथ एक खाता खोलना होगा। फिर आपको ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर लॉग इन करना होगा जिसमें आपको प्रैक्टिस ट्रेडिंग के लिए विभिन्न ऑप्शन उत्पादों के लिए वर्चुअल मुद्रा मिलेगा। आपको ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म की अनुभव को समझने के लिए चार्ट्स, ग्राफ्स और विभिन्न इंडिकेटर्स का उपयोग करना चाहिए। जब आप विभिन्न वित्तीय उत्पादों पर प्रैक्टिस ट्रेडिंग करते हैं तो आप विभिन्न ट्रेडिंग रणनीतियों का प्रयोग करके अपनी ट्रेडिंग कौशल को सुधार सकते हैं और ट्रेडिंग का अभ्यास कर सकते हैं। जब आपको प्रैक्टिस ट्रेडिंग में सफलता मिलती है तो आप वास्तविक ट्रेडिंग कर सकते हैं।
ऑप्शन ट्रैडिंग से पहले मार्केट को समझें:
ऑप्शन ट्रेडिंग से पहले मार्केट को समझना जरूरी है। मार्केट को समझना ताकि आप अपनी ट्रेडिंग रणनीति को समझ सकें और बेहतर निर्णय ले सकें। आपको मार्केट की वॉलेटिलिटी, चाल और अन्य महत्वपूर्ण परिस्थितियों को समझना चाहिए। इससे आपको अपने निवेश के लिए सही समय को चुनने में मदद मिलेगा। आपमे बाजार की स्थिति के आधार पर अपनी रणनीति को समायोजित करने की क्षमता आएगा। एक अच्छी जानकारी और विश्लेषण से आप बाजार के तथ्यों और तार्किकता को समझ सकते हैं और अपने निवेश के लिए बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
ऑप्शन ट्रैडिंग के लिए अपना स्ट्रेटजी बनाएं:
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए एक सटीक और प्रभावी स्ट्रैटेजी बनाना जरूरी है। स्ट्रैटेजी बनाते समय ध्यान देना चाहिए कि व्यक्तिगत लक्ष्यों, वित्तीय स्थिति और रिस्क प्रोफाइल के साथ मेल खाना चाहिए। एक अच्छी स्ट्रैटेजी का मुख्य लक्ष्य होता है निवेश के निर्णयों को स्पष्टता से लेना और विपरीत परिणामों के खतरे को कम करना।
स्ट्रेटेजी को तैयार करने के लिए ट्रेडर को स्टॉक मार्केट के विभिन्न तत्वों को गहराई से समझना चाहिए जैसे कि आउट-ऑफ-द-मनी, इन-द-मनी और एट-द-मनी ऑप्शन का उपयोग कैसे किया जाता है। विभिन्न चार्ट्स और इंडिकेटर्स का उपयोग करके बाजार के रुख को समझना भी जरूरी है। ट्रेडर को अपनी स्ट्रेटेजी को समय समय पर संशोधित करते रहना चाहिए क्योंकि बाजार की स्थिति निरंतर बदलती रहती है।
मात्र एक लॉट से ऑप्शन ट्रैडिंग स्टार्ट करें:
ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत एक लॉट से ही करना चाहिए। इसमें व्यक्ति केवल एक ही ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदता या बेचता है। यह नए ट्रेडर्स के लिए एक सुरक्षित तरीका है जो पहली बार ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे हैं। एक लॉट में कम निवेश की आवश्यकता होती है और इससे नुकसान का जोखिम भी कम होता है। एक लॉट से शुरुआत करने से व्यक्ति ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे मे समझने का मौका मिलता है। उन्हें बाजार के विभिन्न तत्वों का अध्ययन करने का भी मौका मिलता है। वे समझ सकते हैं कि ऑप्शन कैसे काम करते हैं और कैसे उन्हें बाजार में लाभ के लिए उपयोग किया जाता है।
ऑप्शन ट्रैडिंग का शुरुआत कम पैसे से करें:
जब आप ऑप्शन ट्रैडिंग शुरू कर रहे हैं तो आप कम पैसे लगाकर शुरुआत करें। जब आप अभ्यस्त हो जाए तब अधिक पूँजी से ट्रैडिंग कर सकते हैं।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे स्टॉप लॉस जरूर मैन्टेन करें:
स्टॉप लॉस ट्रेडर को उनके निवेश की सुरक्षा और संभावित नुकसान से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऑप्शन ट्रैडिंग मे स्टॉप लॉस जरूर मैन्टेन करें।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे ओवर ट्रेडिंग ना करें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में ओवर ट्रेडिंग नहीं करना चाहिए। बाजार में अत्यधिक ट्रेडिंग करने से आपको नुकसान हो सकता है और वित्तीय स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 1 से 3 तीन लेना एक आइडियल माना जाता है।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे ईवेन्ट ट्रैडिंग ना करें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में ईवेंट ट्रेडिंग से दूर रहना बहुत जरुरी है। ईवेंट ट्रेडिंग में ट्रेडर किसी विशेष घटना या समाचार के आधार पर निवेश करता है जैसे कि RBI की मोनिटेरी पॉलिसी, बजट, इलेक्शन रिजल्ट आदि के टाइम।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे ज्यादा लालच बिल्कुल ना करें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में ज्यादा लालच बिल्कुल नहीं करना चाहिए। ज्यादा लालच ट्रेडर को उनके निवेश के निर्णय पर ध्यान केंद्रित करने से हटा देता है। उन्हे अपने निवेश में अत्यधिक जोखिम लेने के लिए प्रेरित करता है। जब लालच की भावना होती है तो ट्रेडर अपने निवेश के लिए अधिक लाभ की आशा करता है लेकिन इसका परिणाम अक्सर नुकसान होता है। धीरे-धीरे वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए धीरज बनाए रखना चाहिए और अपनी निवेश स्ट्रैटेजी को सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए।
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ऑप्शन ट्रैडिंग मे लॉस रिकवरी के लिए ट्रैड ना लें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में लॉस के बाद रिकवरी की कोशिश करना एक सामान्य लेकिन जोखिमपूर्ण निर्णय होता है। जब ट्रेडर नुकसान में होता है तो उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए कि वे अपने गलतियों से सीखें और उनसे सीखकर आगे बढ़ें ना कि लॉस को रिकवर करने के पीछे भागे। लॉस के पीछे भागते हुए जब ट्रेडर बड़े लाभ के लिए जल्दबाजी करता है तो यह अक्सर और अधिक नुकसान कर बैठता है।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे न्यूज पर आधारित ट्रेड से बचें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में न्यूज पर आधारित ट्रेडिंग से बचना जरूरी है। अक्सर ट्रेडर खास खबरों और समाचारों के आधार पर निवेश करने का प्रयास करते हैं विशेषकर ब्रेकिंग न्यूज पर जिससे ट्रेडर को आंशिक या पूर्ण नुकसान हो सकता है। ट्रेडर को निवेश के लिए खबरों का आधार बनाने की बजाय उन्हें अपनी वित्तीय रणनीति और तकनीकी विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करते हुए ट्रैड करना चाहिए।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे डिसिप्लिन्ड रहें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए ट्रेडर को डिसिप्लिन्ड रहने की आवश्यकता होता है। डिसिप्लिन बनाए रखने के लिए ट्रेडर को अपनी निवेश के लक्ष्य को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए और उसके अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए। ट्रेडर को अपनी निवेश की स्थिति को समय-समय पर समीक्षा करना चाहिए और निवेश के फैसले को स्वीकार्य और अस्थायी स्थितियों के आधार पर नहीं लेना चाहिए।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे कैपिटल बचा के रखें:
शेयर मार्केट मे ऑप्शन ट्रेडिंग के दौरान कैपिटल को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। कैपिटल को संरक्षित रखने के लिए ट्रेडर को एक निवेश प्लान बनाना चाहिए और उस प्लान को सख्ती से पालन करना चाहिए। ट्रेडर को हर ट्रेड पर सही रिस्क प्रबंधन और स्टॉप लॉस आदि की मदद से अपने निवेश को सुरक्षित रखना चाहिए।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे उधार लेकर या लोन लेकर ट्रैड ना करें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में उधार लेना या लोन लेकर ट्रेडिंग करना बेहद खतरनाक हो सकता है। उधार लेकर या लोन लेकर ट्रेडिंग करने से पहले, ट्रेडर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपनी वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस भारी आर्थिक जिम्मेदारी का सामना कर सकता है। जिससे ट्रैडर उधार चुकाने के दबाव मे आकर गलत निर्णय लेता है और नुकसान कर बैठता है।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे टाइम से मार्केट से बाहर निकलें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में समय से पहले बाजार से बाहर निकलना बहुत आवश्यक होता है। बाजार में रहते हुए ट्रेडर को अपनी खास निवेश स्थिति को समय से पहचानने और समय पर कार्रवाई करने की जरूरत होती है। अगर कोई निवेशक अपनी ट्रेडिंग प्लान के अनुसार खरा नहीं उतरता और उसका ट्रैड असफल होता है तो वह समय पर बाजार से बाहर निकलकर अपने नुकसान को रोक सकता है।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे एक साथ अधिक ट्रैड ना लें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में एक साथ अधिक ट्रेड लेना अच्छा नहीं होता है। अधिक ट्रेड्स लेने से ट्रेडर की नुकसान हो सकता है क्योंकि वह निवेश के लिए समय और ध्यान दोनों को अच्छी तरह से मैनेज नहीं कर पाता है। संभावित नुकसान को कम करने के लिए एक समय में केवल एक या दो ट्रेड्स ही ले जो कि उसकी ट्रेडिंग प्लान और रिस्क टोलरेंस के अनुसार हों।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे अपना टारगेट तय करें:
ऑप्शन ट्रैडर को अपनी रिसर्च और इंडिकेटर्स को ध्यान मे रखते हुए ट्रैड का एक टारगेट तय करना चाहिए।
ऑप्शन ट्रैडिंग हर समय ना करें:
ऑप्शन ट्रेडिंग को हर समय नहीं करना चाहिए। जब बाजार मे आपके स्ट्रेटजी के अनुसार सभी सेट उप अनुकूल दिखे तभी आपको ट्रैड लेना चाहिए।
ऑप्शन ट्रैडिंग मे अपना रिकार्ड नोट करें:
ऑप्शन ट्रेडिंग में अपने रिकॉर्ड को नोट करना चाहिए। ट्रेडर को अपनी हर ट्रेड को लेकर विवेकपूर्ण और व्यावसायिक ढंग से ट्रैक करना चाहिए ताकि वह अपने निवेश की प्रगति को समझ सके और अपनी ट्रेडिंग प्लान को सुधार सके, खासकर तब जब आप नये हो। रिकॉर्ड करने से ट्रेडर को अपने प्रत्येक ट्रेड की एक विस्तृत स्थिति का अवलोकन होता है जिससे वह अपने निवेश की समीक्षा करके और सुधार सकता है। ट्रेडर को अपने रिकॉर्ड में ट्रेड की जानकारी जैसे कि ट्रेड की तिथि, इन्स्ट्रूमेंट, ट्रेड का प्रकार, निवेश की राशि, प्राप्त लाभ या नुकसान और ट्रेड के कारणों को विस्तार से नोट करना चाहिए।
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