दुनिया कितनी बदलती जा रही है। इस बदलती दुनिया मे लोगों के जीवन शैली पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। तरह तरह की आधुनिक सुविधायें जो जीने के तरीकों को बिल्कुल बदल के रख दिए हैं और दिन प्रति दिन और बदलते जा रहे हैं। इनमे से एक मैट्रेस गद्दा है जो अच्छी नींद और कम्फर्ट के लिए उपयोग किया जा रहा है। लेकिन कई मामलों मे मैट्रेस गद्दा पर सोने के नुकसान भी हो सकते हैं जिसके बारे मे जानना और ध्यान रखना जरूरी है अन्यथा स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। इसका समर्थन कई आर्थोपेडिक फिजियोथेपिस्ट भी करते हैं।
आदिकाल मे लोग जमीन पर सोते थे, समय के साथ साथ लोग घास फूस, पेड़ों के पत्ते, खेती के उत्पादों का उपयोग सोने के लिए करते थे। इसके बाद सोने के लिए बांस व लकड़ियों से बने खाट, तखत व पलंग का निर्माण किया जाने लगा। बाद मे इनकों और आरामदायक बनाने के लिए तखत व पलंग के ऊपर गद्देदार पदार्थ का उपयोग किया जाने लगा जैसे कपड़े व रुई के गद्दे आदि। विभिन्न युगों और संस्कृतियों में इन गद्दों के डिज़ाइन और उपयोगिता के आधार पर विश्व स्तर पर बदलाव होते रहे हैं। आजकल विभिन्न उत्पादों और तकनीकों का उपयोग करके बनाए जाने वाले विशेष गद्दे उपलब्ध हैं जिनमें मेमोरी फोम, लेटेक्स, कोइल स्प्रिंग, और हाइब्रिड गद्दे शामिल हैं।
इन नई तकनीक से बने गद्दों को “मैट्रेस गद्दा” का नाम दिया गया है। मैट्रेस गद्दे बहुत मोटे, सुंदर व आरामदायक होते हैं किन्तु इनके उपयोग से कई शारीरिक सामस्यायें उत्पन्न होने लगे हैं जो दूसरे पुराने विस्तरों के उपयोग के अपेक्षाकृत बहुत अधिक हैं। मैट्रेस गद्दा पर सोने से कमर दर्द, गर्दन दर्द, स्पाइनल समस्यायें, मांसपेशियों मे खिंचाव आदि समस्या आने लगते हैं ये समस्याए जमीन अथवा अन्य प्रकार के गद्दों पर सोने से नहीं होती हैं।
बॉडी को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है कि उचित बिस्तर का उपयोग किया जाए। इसके लिए ऑर्थोपेडिक गद्दे अच्छे होते हैं जिसमे बोंडेड फोम और मेमोरी फोम का मिश्रण होता है। साधारण फोम के गद्दे का लगातार उपयोग करने से गद्दे जगह जगह से दबने लगता है जो व्यक्ति के शरीर में बहुत सी बीमारियों का करण हो सकता है।
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मैट्रेस गद्दा पर सोने के नुकसान – Disadvantages of Sleeping on a Mattress
मैट्रेस गद्दा पर सोने के नुकसान हो सकते है जो गद्दे के प्रकार, गुणवत्ता और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि सही गद्दे का चयन किया जाय जो आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो। तो आइये इनसे होने वाले नुकसान के बारे मे जानते है।
1. खराब स्पाइनल एलाइनमेंट: ढीले या अधिक नरम गद्दे में उचित सपोर्ट की कमी होती है जो रीढ़ के प्राकृतिक एलाइनमेंट (स्थिति) को बिगाड़ सकता है जिससे इनल मिसलिग्न्मेंट का कारण बन सकता है। ऐसे गद्दे के के अधिक उपयोग से पीठ दर्द, गर्दन दर्द, कंधे दर्द, मांसपेशियों मे अकड़न व लंबे समय तक रीढ़ की हड्डी में समस्या हो सकता है। कुछ विशेष परिस्थितियों मे स्पॉन्डिलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी भी होने की संम्भावना बढ़ जाता है।
2. एलर्जी: गद्दों मे समय के साथ धूल के कण, मोल्ड और पालतू जानवरों की रूसी जमा होने लगते हैं। यदि आपको इन पदार्थों से एलर्जी है तो नियमित सफाई व रख रखाव करना बहुत जरूरी है नहीं तो आपको गद्दे पर सोने से एलर्जी हो सकता है।
कुछ लोगों की त्वचा इतनी सेंसेटिव होती है कि गद्दे में इस्तेमाल होने वाली कुछ सामग्रियों जैसे लेटेक्स या सिंथेटिक फोम से एलर्जी हो सकता है ऐसे मे सोते समय इन सामग्रियों के संपर्क में आने पर त्वचा पर चकत्ते, खुजली या सांस की समस्या सहित एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकता है।
3. दबाव बिंदु: कुछ गद्दे अपने गुणवत्ता के अनुसार नरम अथवा हार्ड हो सकते हैं। ऐसे मे शरीर के वजन को समान रूप से वितरित नहीं करते हैं। इससे दबाव वाले जगह पर दबाव बिंदु बन सकता है जिससे सोने मे असुविधा और संम्भवतः कंधों, कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। कुछ विशेष परिस्थिति मे मसल्स मे भी खिंचाव हो सकता है।
4. हीट रिटेंशन: कुछ प्रकार के गद्दे जैसे मेमोरी फोम शरीर की गर्मी को बरकरार रख सकते हैं जो आपको नींद के दौरान असहज महसूस कराते हैं। यह आपकी नींद को बाधित कर सकता है और असुविधा पैदा कर सकता है। खासकर उन लोगों को जिनको सोते समय अधिक गर्मी होता है। ऐसा इसलिए होता है कि इस प्रकार के गद्दों मे उचित वायु प्रवाह नहीं हो पता अथवा कम होता है जो शरीर की गर्मी को रोकता है गर्मी और बढ़ जाती है जिससे पसीना होने लगता है।
5. पार्टनर डिस्टर्बेंस: यदि आप अपने पार्टनर के साथ अपना बिस्तर साझा करते हैं तो गद्दे पर मूवमेंट या मोशन ट्रांसफर एक महत्वपूर्ण कमी हो सकता है। यदि गद्दा गति को प्रभावी ढंग से अवशोषित नहीं करता है तो आप अपने साथी की गतिविधियों से परेशान हो सकते हैं जिससे आपकी नींद प्रभावित हो सकती है।
6. टूट-फूट: समय के साथ गद्दे पुराने होने लगते हैं जिस कारण गद्दे में सैगिंग अथवा गांठ या गड्ढे बनने लगते हैं। ये गांठ या गड्ढे गहरी नींद के दौरान खलल पैदा कर सकते हैं।
7. ऑफ गैसिंग: कुछ गद्दे विशेष रूप से सिंथेटिक सामग्री से बने होते हैं जो ऑफ-गैसिंग गंध उत्पन्न कर सकते हैं। ये गंध गद्दे के निर्माण प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले रसायनों के करण होते हैं जो कुछ व्यक्तियों के लिए अप्रिय और सांस लेने मे तकलीफ पैदा कर सकते हैं।