15 Benefits of Brahmi Plant Leaves Vati
वैसे तो अनगिनत पौधे हैं जिनके औषधिये गुण बहुत चमत्कारी होता हैं ब्राह्मी भी उनमे से एक है। किन्तु ब्राह्मी विशेष इसलिए है कि यह तंत्रिका तंत संतुलित करता है और दिमाग सम्बंधित विभिन्न समस्याओं को दूर करने मे सक्षम है। वैसे इसके कई फायदे हैं लेकिन इनमे से 15 फायदे जो ब्राह्मी के पौधे पट्टी अथवा बटी ’15 Benefits of Brahmi Plant Leaves Vati’ के बारे मे आज हम जानेगें।
ब्राह्मी प्राचीन काल से भरतीये औषधि मे उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक उपचार मे ब्राह्मी को मेध्यरसायन के नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है नसों को दुरुस्त करने वाली व पुनर्जीवित करने वाले तत्वों से युक्त। ब्राह्मी का उपयोग 3000 वर्ष से ज्यादा पहले से औषधि के रूप मे किया जा रहा है। इस औषधि का उल्लेख भारतीये प्राचीन ग्रंथ जैसे चरक और सुश्रुत संहिता मे मिलता है। ब्राह्मी के पत्ते निर्धारित मात्रा में सेवन से मानसिक ताजगी और स्मृति में सुधार हो सकता है।
ब्राह्मी का पौधा (बोटैनिकल नाम: Bacopa Monnieri) एक सुगंधित पौधा है जो भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में पाया जाता है। इसके पत्ते छोटे, सुगंधित, गोल और हरे होते हैं जो पानी के किनारों पर विकसित होते हैं। इन पत्तों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है, जिनमें विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण किया जाता है। ब्राह्मी का प्रयोग मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने, मेमोरी बढ़ाने, तंत्रिका तंतु के रोगों का इलाज करने और अन्य शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के लिए किया जाता है। इसके अलावा ब्राह्मी के पत्तों के उपयोग सुंदरता और त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी होता है। आजकल अनलाइन या ऑफलाइन दुकानों पर ब्राह्मी के पाउडर, कैप्सूल और सिरप आदि आसानी से मिल जाते हैं।
ब्राह्मी के पौधे का कुछ विशेष तथ्य
- वैज्ञानिक नाम: बाकोपा मोनियरी “Bacopa Monnieri”
- कुल: प्लांटेजिनेसी
- अन्य नाम: ब्राह्मी, जल नेवरी,
- तासीर: शीतल (ठण्डा)
- ब्राह्मी शब्द का अर्थ: “ब्राह्मी” शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा से हुई है जो भारतीय भाषाओं की एक प्राचीन भाषा है। “ब्राह्मी” का विशेषार्थ संस्कृत में “ब्रह्म” या “ब्रह्मा” से संबंधित है जो हिन्दू धर्म के त्रिदेव में से एक हैं। ब्रह्मा को ज्ञान और विद्या का देवता माना जाता है और ब्राह्मी मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्र को शक्ति प्रदान करता है। ब्राह्मी को ब्रह्ममाण्ड से भी जोड़ा जाता है।
ब्राह्मी का पौधा – Brahmi Plant
ब्राह्मी का पौधा प्राचीन काल से भारतीय औषधालयों मे एक विशिष्ठ जड़ी बूटी के रूप मे होता रहा है। इसके पौधे लत्तेदार (पुदीना के पौधे की तरह) होते हैं जिसका रंग हरा होता है। ब्राह्मी की पत्तियां रस से भारी हरे, छोटे-छोटे व गोलाकार होतीं हैं जो देखने मे मानव मस्तिष्क के संरचना की तरह दिखती हैं। ब्राह्मी के पौधा मे एक विशेष सुगन्धित गंध होता है। इसके फूल गुलाबी रंग के होते है जो देखने मे सुन्दर लगते हैं।
इस जड़ी बूटी का वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोंनिरी (Bacopa Monnieri) है। अक्सर ब्राह्मी शब्द का उपयोग गोटूकोला के संबंध में किया जाता है क्योंकि दोनों में एक जैसे गुण हैं। लेकिन ब्राह्मी के साथ बाकोपा मोंनिरी अधिक उपयुक्त जड़ी बूटी है। गोटूकोला सामान्यतः मण्डूकपर्णी के रूप में जाना जाता है।
ब्राह्मी सदाबहार पौधा है जो बारह महीने मिलता है किन्तु यह जहां पर है वहाँ पानी का स्रोत होना आवश्यक है नहीं तो यह सुख जाता है। ब्राह्मी को जल स्रोत के पास होने और स्वाद मे नीम के जैसे कड़वा होने के कारण जलनिम्ब (Water Hyssop) भी कहते हैं। यह पौधा नम स्थानों जैसे नदी, नाला, नहर, तलाब आदि के किनारे पाया जाता है। इसे आप अपने घर, बालकनी, छत अथवा घर के आस पास छायेदार जगह पर लगा सकते हैं।
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ब्राह्मी के उपयोग के तरीके – Ways to use Brahmi in Hindi
ब्राह्मी एक ऐसा पौधा है जिसका कोई भी भाग खाया जा सकता है उससे पूरा लाभ मिलता है। ब्राह्मी का जड़, पत्ति व फूल सहित पूरा पौधा औषधीय गुणों से कूट कूट कर भरा होता है। जैसे:
- ब्राह्मी के पत्ते: ब्राह्मी के पत्ते को चबाकर या चाय या काढ़ा बनाकर।
- ब्राह्मी का रस: केवल पत्तों का या इसके जड़ सहित पूरे पौधे का रस निकाल कर।
- ब्राह्मी का पेस्ट: केवल पत्तों का या साफ करके पूरे जड़ सहित इसका पेस्ट बनाकर।
- ब्राह्मी का तेल: इसका तेल निकाल कर।
- ब्राह्मी का वटी: इसका वटी या टैबलेट बनाकर।
- ब्राह्मी का पाउडर: इसके पत्तियों को सुखाकर पाउडर बनाकर।
ब्राह्मी के पौधे का उपयोग अपनी सुविधा, इसकी उपलब्धता और बीमारी के प्रकार एवं स्थिती के अनुसार किया जाना चाहिए। कुछ विशेष अवस्था मे इसके सेवन से पहले डॉक्टर अथवा विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेना चाहिए। विशेषकर यदि आप दूसरे किसी बीमारी की दवा पहले से सेवन कर रहे हों।
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ब्राह्मी का तासीर – Brahmi ki Taseer in Hindi
ब्राह्मी का तासीर ठंडी होती है। यह आयुर्वेद में ठंडक प्रदान करने वाली हर्ब है। यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करती है।
ब्राह्मी के सेवन का सही समय – Right time to consume Brahmi
ब्राह्मी का सेवन सही समय पर करने से इसके पौष्टिक गुणों का सर्वाधिक लाभ मिलता है। आयुर्वेद में ब्राह्मी के सेवन के लिए विभिन्न समय सूचित किए गए हैं:
- सुबह का समय: सुबह का समय ब्राह्मी के सेवन के लिए आमतौर पर सर्वोत्तम माना जाता है। इसे आप खाली पेट ले सकते हैं जिससे इसका लाभ बढ़ सकता है।
- दोपहर का समय: दोपहर के समय भी ब्राह्मी का सेवन किया जा सकता है लेकिन ध्यान दें कि यह खाने के बाद कुछ समय के बाद किया जाना चाहिए।
- रात का समय: रात के समय ब्राह्मी का सेवन भी किया जा सकता है लेकिन यह नींद पूर्वक होना चाहिए ताकि यह मानसिक चुस्ती को बढ़ा सके।
ब्राह्मी का सेवन आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य लक्ष्यों और प्राथमिकताओं पर भी निर्भर करता है। आपके डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना हमेशा अच्छा होता है क्योंकि वे आपके लिए सही समय और मात्रा का सुझाव दे सकते हैं। ब्राह्मी का सेवन हमेशा उचित मात्रा में रखें।
ब्राह्मी के सेवन का उचित मात्रा – Appropriate amount of Brahmi consumption
ब्राह्मी को खाने के लिए उचित मात्रा आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए आवश्यकता पर निर्भर करता है। आप सुबह के समय खाली पेट 3 से 5 पत्तीयां चबाकर खा सकते हैं। बाकी और किसी रूप मे या विशेष बीमारी मे इसकी मात्रा और समय का निर्धारण आपके डॉक्टर करेंगे।
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ब्राह्मी के फायदे – Brahmi Benefits in Hindi
ब्राह्मी का फायदा दिमाग दुरुस्त करने मे – Brahmi benefits for Brain
ब्राह्मी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर एक प्राकृतिक हर्ब जिसे ब्रेन बूस्टर के नाम से भी जाना जाता है। इसका उपयोग दिमाग को दुरुस्त करने मे किया जाता है। यह मस्तिष्क के विकाश मे न्यूरोप्रोटेक्टिव की भूमिका निभाता है। इसका उपयोग मानसिक सुदृढ़ता व क्षमता बढाने मे बहुत फायदेमंद होता है। ब्राह्मी मानसिक एकाग्रता, समझ, कुशल विवेक, बुद्धि, ज्ञान और सतर्कता को बढ़ाने मे मदद करता है।
ब्राह्मी का फायदा तनाव दूर करने मे – Benefits of Brahmi in relieving Stress
ब्रेन बूस्टर ब्राह्मी मे कुछ विशेष रसायन होते हैं जो तनाव उत्पन्न करने वाले कोर्टिसोल नामक हार्मोन को कंट्रोल करने मे मदद करता है। कोर्टिसोल नामक हार्मोन को कंट्रोल होने पर मानव मस्तिष्क रिलेक्स महसूस करने लगता है जिससे चिन्ता, तनाव व स्ट्रेस दूर करने मे मदद मिलता है।
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ब्राह्मी का फायदा स्मरण शक्ति बढ़ाने मे – Benefits of Brahmi in improving Memory Power
ब्राह्मी स्मरण शक्ति बढ़ाने वाले औषधी के रूप मे प्राचीन काल से उपयोग किया जा रहा है। इसमे पाए जाने वाले कुछ विशेष तत्व एवं कुछ कार्बनिक योगिक मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाते हैं और स्मृति, एकाग्रता व दिमाग को तेज करने मे मदद करते हैं। अनेक अध्ययनों मे पता चला है कि ब्राह्मी की उचित मात्रा के लगातार सेवन करने से स्मृति हानि होने से बचा जा सकता है। ब्राह्मी के नियमित सेवन से सभी उम्र के लोगों मे सीखने की क्षमता बढ़ता है।
ब्राह्मी का फायदा पाचन तंत्र ठीक करने मे – Brahmi benefits in improving the Digestive System
ब्राह्मी पाचन सिस्टम को सुधारने और खराब पाचन समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है। इसका अपच और आपच दोनों प्रकार की समस्याओं के उपचार में भी उपयोग किया जा सकता है। इसमे विटामिन और मिनरल के साथ साथ तंत्रिक गुण खाने को आसानी से पचाने में मदद करते हैं जिससे पेट संबंधित दिक्कतों को रोकने में मदद मिल सकता है।
ब्राह्मी का फायदा बालों के लिए – Brahmi benefits for Hair
ब्राह्मी का फायदा बालों के लिए भी होता है। इसमे पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंटस् बालों को गिरने से रोकते हैं। इसके सेवन से रक्त संचार ठीक होता है जिससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। ब्राह्मी का तेल बालों को रूखेपन से बचाते हैं।
ब्राह्मी, आंवला, और भृंगराज को एक साथ पीसकर मिश्रण बना लें। इस मिश्रण को रात भर तक एक लोहे की कड़ाही में रखें। सुबह ब्राह्मी चूर्ण मिक्स इस पेस्ट को बालों पर 10 से 15 मिनट के लिए लगाएं। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से बालों का गिरना बंद हो जाता है।
ब्राह्मी का फायदा त्वचा के लिए – Brahmi benefits for Skin
ब्राह्मी का पेस्ट त्वचा पर लगाने से त्वचा स्वस्थ रहता है। इसमे पेंटासाइक्लिक ट्राइटरपीन जैसे केमिकल कंपाउंड पाए जाते हैं जो सामान्यतः एंटी रिंकल के रूप मे कार्य करते हैं और त्वचा को झुरीयों से बचाते हैं। ब्राह्मी का पेस्ट या तेल घाव पर अगने से घाव ठीक होने मे बहुत कम समय लगता है। इसके उपयोग से त्वचा पर पड़े निशान भी कम हो सकता है।
ब्राह्मी का फायदा इम्यून सिस्टम ठीक करने मे – Brahmi benefits in improving the Immune System
इसमे पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंटस्, वितमीन्स व मिनरल्स शरीर को भरपूर ऊर्जा देते है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। कुछ अध्ययन के अनुसार ब्राह्मी का सेवन करने वाले लोगों के शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन एंटीबॉडीज का उत्पादन बढ़ जाता है।
ब्राह्मी का फायदा सांस की समस्या मे – Brahmi benefits in Respiratory Problems
ब्राह्मी का फायदा सांस सम्बन्धि समस्या मे भी होता है। इसकी कुछ पत्तियां चबाने मात्र से या चाय अथवा काढ़ा मे पीने मात्र से श्वास सम्बन्धि समस्या मे बहुत लाभ मिलता है। ब्राह्मी ब्रोंकाइटिस, अस्थमा या रक्त संकुलन (जिसमे शरीर के किसी एक भाग मे ब्लड का जमाव हो जाता है), कफ और साइनस ब्लॅाकेज के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
ब्राह्मी का फायदा सूजन कम करने मे – Benefits of Brahmi in Reducing Swelling
ब्राह्मी का सेवन सूजन कम करने में भी मददगार होता है। ब्राह्मी में मौजूद एंटी-इंफ्लैमेटरी गुण जोड़ों की सूजन, घावों की सूजन कम करने में मदद कर सकते हैं। ब्राह्मी शरीर मे प्रोस्टाग्लैंडिंस (Prostaglandins) को कम उत्पादन मे मदद करता है जिससे सूजन और दर्द से आराम मिलता है।
ब्राह्मी का फायदा शुगर कंट्रोल करने मे – Benefits of Brahmi in Controlling Sugar
ब्राह्मी का सेवन शुगर (डायबिटीज) कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ एंटीडायबिटिक एवं एंटीहाइपरग्लाइसेमिक गुण शरीर के रक्त शर्करा स्तर को सामान्य में रखने में मदद करते हैं और इंसुलिन के सही उत्पादन को बढ़ाते हैं। ब्राह्मी हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति (जब रक्त शर्करा का स्तर सामान्य लेवल से नीचे चला जाता है) को सुधारने मे भी बहुत प्रभावी है। यह रक्त में लिपिड प्रोफाइल को भी सुधारता है जिससे हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
ब्राह्मी का फायदा रक्त संचार मे – Benefits of Brahmi in Blood Circulation
यह रक्त वाहन को प्रोत्साहित करने में मदद करता है और खून की संचरण को सुधारने में मदद कर सकता है। यह रक्त को पतला कर देता है जिससे नसों मे रक्त प्रवाह आसानी से हो सके। ब्राह्मी का सेवन रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है जो हृदय और शरीर के अन्य अंगों के लिए यह फायदेमंद होता है।
ब्राह्मी का फायदा अल्जाइमर मे – Brahmi benefits in Alzheimer’s
ब्राह्मी का सेवन अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) में मदद कर सकता है। अल्जाइमर रोग एक मानसिक बीमारी है जिसमें मानसिक स्वास्थ्य और मेमोरी कमजोर होती है। ब्राह्मी मेमोरी को सुधारने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, जिसका अल्जाइमर रोग के रोगियों के लिए विशेष महत्व हो सकता है।
ब्राह्मी में एन्टिओकस डेटिवे गुण पाया जाता हैं जो मस्तिष्क में नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को नष्ट करते हैं। ब्राह्मी सेरोटोनिन (Serotonin), कैटेक्लोमाइन्स (Catecholamines), जीएबीए (GABA) और ग्लूटामेट (Glutamate) जैसे न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) के बीच संतुलन स्थापित करता है जो मस्तिष्क को स्वस्थ और कार्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ब्राह्मी का फायदा यूरिन की समस्या मे – Benefits of Brahmi in Urine Problem
ब्राह्मी यूरिन की समस्या मे भी काफी फायदेमंद है। इसमे उपस्थित विशेष औषधिये गुण मूत्रवर्धक का कार्य करते हैं। ये शरीर के अनावश्यक पानी को बाहर निकालते समय वाटर रिटेन्शन, किडनी स्टोन और अन्य बीमारियों से मुक्ति दिलाने मे मदद करते है।
ब्राह्मी का फायदा केंसर मे – benefit of Brahmi in Cancer
ब्राह्मी का सीधा रूप से कैंसर के इलाज में उपयोग नहीं किया जाता है लेकिन यह एक स्वस्थ जीवनशैली और भोजन का हिस्सा हो सकता है जो कैंसर के खिलाफ रक्षा करता है। ब्राह्मी अधिकतम आयरन, विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व प्रदान कर सकता है जिससे शरीर की रोगों की सुरक्षा में मदद मिल सकती है। ब्राह्मी में मौजूद एंटी कैंसर गुण होता है जो ब्रेस्ट कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोक सकता है।
ब्राह्मी का फायदा अन्य बीमारीयों मे – Benefits of Brahmi in Other Diseases
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ब्राह्मी के नुकसान – Disadvantages of Brahmi
ब्राह्मी का सेवन आमतौर पर सुरक्षित होता है लेकिन इसके अधिक सेवन से कुछ नुकसान हो सकते हैं। निम्नलिखित हैं ब्राह्मी के संभावित नुकसान:
- एलर्जिक प्रतिक्रिया: कुछ लोग ब्राह्मी के सेवन से एलर्जिक प्रतिक्रिया कर सकते हैं, जैसे कि त्वचा की खुजली, चकत्ते, या दर्द।
- पेट समस्याएँ: अधिक मात्रा में ब्राह्मी का सेवन करने से कुछ लोगों को पेट समस्याएँ, जैसे कि उलटी, दस्त या पेट दर्द या अपच हो सकता है।
- स्तनपान में समस्याएँ: गर्भावस्था के दौरान या स्तनपान करती महिलाओं को ब्राह्मी के सेवन से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं इसलिए इसके सेवन से पहले चिकित्सक से परामर्श करना उपयुक्त होता है।
- दूसरे दवाओं के साथ समस्या: काभी काभी ब्राह्मी का सेवन कुछ अन्य दवाओं के साथ तालमेल नहीं होने के चलते नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए व्यक्तिगत स्वास्थ को स्थिति देखते हुए डॉक्टर से सलाह अवश्य लेना चाहिए।
कोई भी दवा या अन्य पदार्थ ज्यादा खाने या पीने पर नुकसान करता ही करता है वैसे ही ब्राह्मी का अधिक सेवन करने पर या अधिक समय तक सेवन करने पर इसका नुकसान देखने को मिल सकता है। इसलिए ब्राह्मी का सेवन उचित मात्रा मे (3 से 5 पत्ते प्रतिदिन) और कम समयावधी के लिए किया जाना चाहिए। इसका उपयोग 10 से 12 सप्ताह करते है और फिर एक या दो माह के अन्तराल के बाद करते हैं तो इसका कोई साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिलता है।
FAQ Brahmi Plant
ब्राह्मी का पौधा क्या हैं?
ब्राह्मी पौधा एक औषधीय पौधा है जिसके पत्तों का सेवन मानसिक स्वास्थ्य और मेमोरी को सुधारने के लिए किया जाता है। यह विभिन्न आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग होता है।
ब्राह्मी पौधे की देखभाल कैसे की जाती है?
ब्राह्मी पौधे को अच्छी तरह से पालने के लिए आपको धूप और अच्छी छाया देनी चाहिए। इसे नियमित रूप से पानी दें और खुदाई के साथ उपयोगकर्ता निर्देशों का पालन करें।
ब्राह्मी पौधे के पत्ते कैसे उपयोग करें?
ब्राह्मी के पत्ते सुखाकर या वनस्पति तेल में डालकर तेल बना सकते हैं। जिसे त्वचा पर लगाया जा सकता है। वे पत्ते आवश्यकता अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस्तेमाल किए जाते हैं।
क्या ब्राह्मी पौधे के कोई नुकसान हैं?
ब्राह्मी का अत्यधिक सेवन उल्टी, दस्त, या अन्य पाचन संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है। इसका सेवन विशेषज्ञ की सलाह के साथ करें खासकर गर्भावस्था में।
ब्राह्मी पौधे का क्या वैज्ञानिक नाम है?
ब्राह्मी पौधे का वैज्ञानिक नाम “Bacopa Monnieri” है।
क्या ब्राह्मी पौधा घर के बागिचे में उगाया जा सकता है?
हां, ब्राह्मी पौधे को घर के बागिचे में उगाया जा सकता है। खासकर जब आपके पास अच्छी छाया और सुखद प्रकृति का बाग हो।