हमारे आस-पास इतनी सारी फल, सब्जियाँ, अनाज और अन्य पौधे होते हैं जिन्हें हम अपने आहार में शामिल करके सर्दी और गर्मी से बचाव करते हैं। भोजन का आनंद लेने वालों के लिए शीतकाल विशेष रूप से उत्तम होता है। ठंड के मौसम में बाजार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ, फल, साग और हरी सब्जियाँ देखने को मिलते हैं।
जबकि गर्मी के मौसम में अनेक पेय पदार्थ होते हैं जिनका सेवन हम डेली लाइफ मे करते हैं। लेकिन क्या हमें इनके आंतरिक गुणों (तासीर) के बारे में पता है? कुछ लोगों को तो जरूर पता होगा, लेकिन इन आंतरिक गुणों ‘Taseer’ को वास्तव में क्या कहा जाता है यह जानना बहुत आवश्यक है ताकि हम उचित समय पर सही आहार का चयन कर सकें।
Taseer Meaning in Hindi: किसी वस्तु या खाद्य पदार्थ को उपयोग में लाने अथवा उसका सेवन करने पर उसके आंतरिक एवं तात्त्विक गुण के कारण शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव, असर अथवा परिणाम उस वस्तु या खाद्य पदार्थ का तासीर होता है। फल उदाहरण के लिए ज़्यादा तरल फलों की तासीर समान्यतः ठंडे होते हैं।
दूसरे शब्दों मे समझें तो, तासीर एक ऊँष्म गुण है जो खाद्य पदार्थों, फलों, सब्जियों और वनस्पतियों आदि के सेवन के बाद शरीर में महसूस होने वाला ठंडा या गर्म प्रभाव होता है। यह प्रभाव आमतौर पर खाद्य पदार्थों के रासायनिक गुणों और उनके प्रभाव पर निर्भर करता है जो शरीर के तापमान में परिवर्तन लाते हैं। इसे आमतौर पर गर्म तासीर और ठंडी तासीर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
Taseer Meaning in Hindi | तासीर का अर्थ
तासीर का अर्थ हिन्दी मे गुण, आंतरिक गुण, प्रकृति, असर, प्रभाव, छाप, परिणाम, नतीजा आदि फल होता है।
तासीर का अर्थ इंग्लिश मे Effect, Impression, Efficacy, Influence, Operation आदि होता है।
कुछ गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थ, गर्म तासीर वाले फल और कुछ ठंडी तासीर वाले पदार्थ व ठंडी तासीर वाले फल आदि के बारे मे।
सहजन की तासीर कैसी होती है | Apamarg Ki Taseer
मोरिंगा ओलीफेरा जिसे शहजन के पेड़ के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में सदियों से उपयोग किया जा रहा है। इसके अनेक औषधिये गुणों की वजह से यह कई बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग होता है।
मोरिंगा लिपिड और ग्लूकोज के स्तर को कम करने, ऑक्सीडेटिव तनाव को नियंत्रित करने और ब्लड शुगर को कम करने में इसका उपयोग डायबिटीज के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। मोरिंगा का साग, फल व फली को एक सुपरफूड के रूप में भी जाना जाता है जिसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह डायबिटीज, आर्थ्राइटिस, ओबेसिटी मे बहुत कारीगर होता है।
लेकिन अधिक मात्रा में मोरिंगा साग का सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए उचित मात्रा में सेवन करना और अन्य स्वस्थ आहार के साथ मिश्रित करना बेहतर होता है। सहजन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो विभिन्न संक्रमणों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
सहजन का सूप पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। यहाँ ध्यान रखें कि सहजन का तासीर गर्म होता है इसलिए ऐसे लोगों को जो गर्मी की समस्याओं से पीड़ित हैं (जैसे कि एसिडिटी, ब्लीडिंग, पाइल्स, भारी मासिक धर्म, मुंहासे) उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए या फिर सावधानी के साथ इसका सेवन करना चाहिए।
मखाने की तासीर ठंडी होती है या गर्म | Makhana ki Taseer
मखाने की तासीर या प्रकृति ठंडी होती है। आयुर्वेद के अनुसार यह वात और पित्त दोष को संतुलित करने में मदद करता है। टिश्यू को मॉइश्चराइज करने में मदद करता है। लेकिन इसकी ठंडी तासीर के कारण इसका सेवन कुछ स्थितियों में सावधानी पूर्वक करना चाहिए। हालांकि सेहत के लिहाज से मखाना का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
यह वजन घटाने में सहायक है, हड्डियों को मजबूत बनाता है, हृदय स्वास्थ्य, आंतों की साफ़ाई और मानसिक स्थिति में सुधार के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसलिए हमे अपनी डाइट में शामिल जरूर करना चाहिए। मखाने में प्रोटीन, कैल्शियम और हेल्दी फैट्स जैसे तमाम तरह के गुण मौजूद होते हैं जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मदद करते हैं। मखाना एक लो कैलोरी फूड है जिसे वजन घटाने के लिए बेस्ट माना जाता है।
खसखस की तासीर गर्म होती है या ठंडी | Khasakhas ki Taseer
खसखस की तासीर ठंडी होती है। इसका सेवन शरीर को रिलैक्स करता है। यह सेहत के लिए अनेक फायदे प्रदान करता है जैसे कि सूजन को कम करना और तंत्रिका तंत्र को रिलैक्स करना। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवेरिया ज़िज़नियोइडिस है। यह आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है। खसखस के सेवन से अनेक स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं में लाभ होता है जैसे कि सर्दी-खांसी, हृदय रोग, उल्टी, दर्दनिवारक , मुँह के छाले, अनिद्रा , डिप्रेशन या अवसाद, बुख़ार या फीवर, त्वचा का संक्रमण या स्किन इंफेक्शन, बालों का झड़ना कम करें और त्वचा रोग।
इसके औषधीय गुणों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो सेहत को संतुलित रखने में मदद करते हैं। खसखस का प्रभाव ठंडा होने के कारण इसका सेवन गर्मी के मौसम में फायदेमंद होता है। सर्दी के मौसम या मानसून में खसखस के सेवन से बचना चाहिए । गरमी के दिनों में खसखस का शरबत से शरीर को ठंडक मिलती है।
आन्नानास की तासीर | Pineapple ki Taseer
आनानास का प्रभाव शीतल होता है।
- गर्मियों में, जब धूप अत्यधिक होती है, आनानास खाने या उसका रस पीने से शरीर को अंदर से शीतलता मिलती है।
- इसमें विभिन्न पोषक तत्व जैसे कि बीटा-कैरोटिन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, फॉलिक एसिड, कैल्शियम, और मैग्नीशियम होते हैं।
- अनानास का वसा की मात्रा कम होती है, जिससे यह सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
- हालांकि, अनानास में मौजूद एसिड के कारण दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंच सकता है।
- इसका अत्यधिक सेवन त्वचा और होंठों पर भी प्रभाव डाल सकता है।
- अनानास में फाइबर की अधिक मात्रा होने के कारण, यह पेट के लिए बहुत उपयुक्त है, और मोटापे को कम करने में भी मदद कर सकता है।
- आयुर्वेद में अनानास के गुणों का विशेष महत्व है, जिससे कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।
- ब्लड शुगर के मरीजों को अधिक मात्रा में अनानास का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जिन लोगों को अनानास से एलर्जी है या मुंह की संवेदनशीलता है, उन्हें इसका सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
करी पत्ता की तासीर | Kari Patte ki Taseer
करी पत्ते एक छोटे पर्णपाती सुगंधित झाड़ी का भाग होते हैं जिनका वैज्ञानिक नाम मुरराया कोएनिगी है। करी पत्ता एक ऐसा मसाला है जो भारतीय व्यंजनों में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग भोजन में मसाले के रूप में, तड़के के तौर पर और ताजा सलादों में किया जाता है। करी पत्ते का सेवन भोजन को स्वादिष्ट और सुगन्धित बनाता है।यह आयुर्वेदिक गुणों का भी समृद्ध भंडार होता है। करी पत्ते का इस्तेमाल भारतीय व्यंजनों को बहुत अधिक होता है जैसे कि सांभर, राजमा, चावल और भुना मसाला इत्यादि में।
कड़ी पत्ते की तासीर ठंडा होता है जो पेट को ठंडक पहुंचाता है। जिससे पाचन से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके उपयोग से शरीर में मौजूद बैड कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होने में मदद मिलता है। सूखे और ताज़े दोनों तरह के करी पत्ते में अच्छे पोषक तत्व होते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार करी पत्ते के बहुत से फ़ायदेमंद गुण होते हैं। इसमें ब्लड प्रेशर को कम करने वाले प्रभाव होते हैं। ये एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीफंगल, एंटीप्रोटोज़ोअल और एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करते हैं। इसे आंत्र-डायरियल, एंटी-कैंसर और एंटी-डायबिटिक गतिविधि को कम करने के लिए भी किया जाता है। यह सूजन रोकने में, कोलेस्ट्रॉल को कम करने में और गास्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह विषाक्तता को बढ़ावा देने, अल्सर को ठीक करने और ट्यूमर को कम करने में मदद कर सकता है।
सिंघाड़े की तासीर गर्म होती है या ठंडी | Singhade ki Taseer
सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जो त्रिकोण आकार का होता है जिसमे दो सिंग होते हैं। यह जलीय पौधे का फल होता है। सिंघाड़े की स्वाद मधुर और तासीर ठंडा होता है। यह अपने आकार और अनगिनत फायदों के लिए जाना जाता है। सिंघाड़े में कई तरह के विटामिंस और मिनरल्स पाए जाते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। सिंगाड़े का अधिकतर सेवन सर्दी के मौसम में किया जाता है।
सिंघाड़े के औषधिये गुण के कारण आयुर्वेद में इसे बहुत सारी बीमारियों के लिए औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। सिंघाड़ा अनिद्रा, शरीर में कमजोरी, पेट की समस्या, त्वचा से संबंधित समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होता है। सिंघाड़ा सर्दी में खाया जाने वाला एक फल है। आयुर्वेद के अनुसार ठंडा तासीर होने के कारण पित्त प्रकृति के लोग भी इसका सेवन आसानी से कर सकते हैं। इसे पित्त, वात और कफ प्रकृति वाले लोग भी खा सकते हैं।
सिंघाड़ा रक्तपित्त और मोटापे को कम करने में फायदेमंद होता है। सिंघाड़ा पानी से भरपूर फल है। इसे लोग छील कर कच्चा, उबाल कर या इसे पीस कर आटा बना कर भी खाते हैं। व्रत के दौरान इसे कई प्रकार से बनाया और खाया जाता है। लेकिन आम दिनों में भी इसे खाना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है।
इसे भी पढ़े:
- बॉडीबिल्डिंग में स्टेरॉयड का काला सच खतरों का खुलासा
- मसल्स कैसे विकसित करें
- प्रोटीन का सर्वश्रेष्ठ शाकाहारी स्रोत
- आयुर्वेदिक स्वास्थ्य टिप्स